जयपुर। कहते हैं कि प्यार की कोई उम्र नहीं होती और इस कहावत को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के 80 वर्षीय रंगजी और 78 वर्षीय रूपी ने साकार करके दिखाया है। उम्र के इस पड़ाव पर जब लोग जीवन को आराम और शांति के साथ बिताने की सोचते हैं, इन दोनों ने सात फेरे (Marriage) लेकर न केवल अपने प्यार को एक नया नाम दिया, बल्कि समाज के लिए एक अनोखी मिसाल भी कायम की है। उनकी यह प्रेम कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है, जो दिल को छू लेने वाली और प्रेरणादायक है।
रंगजी और रूपी की प्रेम कहानी की शुरुआत साल 1985 में हुई, जब दोनों की मुलाकात बांसवाड़ा के संगमेश्वर महादेव मंदिर के मेले में हुई थी। यह मुलाकात पहली ही नजर में प्यार में बदल गई। गोविंदपुरा दौलतगढ़ के रहने वाले रंगजी और आनंदपुरी क्षेत्र के कतीरिया गांव की रूपी के बीच उस दिन एक ऐसा बंधन बना, जो समय के साथ और मजबूत होता गया। दोनों का प्यार इतना गहरा था कि रंगजी ने करीब 20 साल पहले रूपी को अपने घर ले आए और तब से दोनों बिना शादी (Married) के एक-दूसरे के साथ जीवन बिता रहे थे।
40 साल बाद की शादी
समाज के सामने दोनों को पति-पत्नी के रूप में स्वीकृति मिल गई थी, लेकिन उन्होंने अभी तक शादी (Married) नहीं की थी। रविवार को उनके प्यार में एक नया अध्याय जुड़ा।गोविंदपुरा दौलतगढ़ में समाजजनों, रिश्तेदारों और गांव वालों की मौजूदगी में रंगजी और रूपी ने पूरे रीति-रिवाज के साथ सात फेरे लिए। यह विवाह समारोह बेहद खास था, जहां हर किसी के चेहरे पर खुशी और मुस्कान थी। मंत्रोच्चार के बीच दोनों ने एक-दूसरे को जीवनसाथी के रूप में स्वीकार किया।
इसके बाद दोनों आधिकारिक रूप से पति-पत्नी के बंधन vमें बांध गए हैं। इस विवाह समारोह में गांव वालों और समाजजनों का विशेष योगदान रहा। उन्होंने न केवल इस अनोखे जोड़े का समर्थन किया, बल्कि पूरे उत्साह के साथ शादी की सभी रस्में संपन्न करवाई। यह समारोह इस बात का प्रमाण है कि समाज भी बदल रहा है और प्यार को उम्र की सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता। रंगजी और रूपी की शादी ने न केवल उनके रिश्ते को सामाजिक स्वीकृति दी, बल्कि यह भी दिखाया कि सच्चा प्यार हर बाधा को पार कर सकता है।
80 की उम्र में रंगजी ने की शादी
रंगजी और रूपी की यह प्रेम कहानी न केवल बांसवाड़ा, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है। यह दर्शाती है कि प्यार और साथ का रिश्ता उम्र, समय या सामाजिक नियमों का मोहताज नहीं होता। 80 और 78 की उम्र में भी दोनों ने अपने प्यार को नया आयाम दिया और समाज को यह संदेश दिया कि जीवन में कभी भी नई शुरुआत की जा सकती है। उनकी यह कहानी हर उस व्यक्ति के लिए एक मिसाल है, जो प्यार और रिश्तों में विश्वास रखता है।
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रंगजी और रूपी का यह विवाह समारोह न केवल उनके जीवन का सबसे यादगार पल बना, बल्कि यह भी साबित किया कि सच्चा प्यार हमेशा जीतता है, चाहे उम्र कितनी भी हो।