हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत प्रत्येक माह में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को होता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 दिसंबर को इस साल मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन शिवलिंग में कनेर के फूल व बेलपत्र चढ़ाने से भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा बरसती है।
न्यायधानी में रवि प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh) को लेकर घरों और शिवालयों में विशेष तैयारी की जा रही है। महिलाओं में खासकर विशेष उत्साह बना हुआ है। शिवमंदिर शंकर नगर के पुजारी पंडित रमेश तिवारी का कहना है कि प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर नहाने के बाद मंदिर की सफाई करें। इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। प्रदोष व्रत में शाम को पूजा करने का विधान है, तो ऐसे में संध्या काल में पूजा की शुरुआत करें।
शिवलिंग का शहद, घी और गंगाजल से अभिषेक करें। इसके बाद शिवलिंग पर कनेर के फूल, बेलपत्र और भांग चढ़ाएं। भगवान शिव को फल और मिठाई का भोग लगाएं। अंत में भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।
प्रदोष व्रत में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। शिवपुराण में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना बेहद फलदायी बताया गया है। धार्मिक मत है कि इस मंत्र का जाप करने से साधक को जीवन के सभी तरह दुखों से छुटकारा मिलता है।
मान्यता है कि इस दिन देवों के देव महादेव भगवान शिव की पूजा करने से साधक को आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। महादेव की कृपा सदैव बनी रहती है। इस दिन प्रदोष काल में पूजा की जाती है। पंडित तिवारी ने यह भी बताया कि यह व्रत रविवार के दिन पड़ रहा है। इसलिए इसे रवि प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh) कहा जाएगा। प्रदोष व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की सच्चे मन से आराधना करने पर व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।