हर साल भादो शुक्ल अष्टमी तिथि से लेकर अश्विन कृष्ण अष्टमी तक महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) किया जाता है। 16 दिनों तक रखे जाने महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत आज से हो रही है और 14 सितंबर को इनका समापन हो जाएगा। इन सोलह दिनों के दौरान धन और वैभव की देवी महालक्ष्मी की आराधना की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) करने से घर में दरिद्रता दूर होती है और धन-धान्य की वृद्धि होती है। महिलाओं के लिए यह व्रत विशेष रूप से कल्याणकारी माना गया है। जो महिलाएं 16 दिनों तक महालक्ष्मी व्रत करती हैं, उनके लिए इस व्रत कथा का पाठ करना जरूरी माना गया है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं महालक्ष्मी व्रत की कथा।
महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) कथा हिंदी में
पौराणिक कथा के अनुसार, एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। वह भगवान विष्णु का बड़ा भक्त था और रोजाना उनकी भक्तिभाव से पूजा करता था। गरीब ब्राह्मण की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा। उस ब्राह्मण ने लक्ष्मी जी को अपने घर में निवास करने की इच्छा जाहिर की। भगवान विष्णु ने उसे बताया कि मंदिर के सामने एक स्त्री उपले थापने आती है। तुम उसे अपने घर आने का निमंत्रण दो। वही स्त्री लक्ष्मी जी हैं और उनके घर आने से तुम्हारा घर धन-धान्य से भर जाएगा।
भगवान विष्णु की बात मानकर ब्राह्मण ने मंदिर के सामने बैठ गया। कुछ देर बाद मां लक्ष्मी उपले थापने आईं। उस ब्राह्मण ने लक्ष्मी जी से अपने घर आने का निवेदन किया। लक्ष्मी जी समझ गईं कि यह सब विष्णु जी ने ही कहा है। तब उन्होंने ब्राह्मण से कहा कि वह पूरे 16 दिनों तक महालक्ष्मी व्रत करे। फिर 16वें दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी।
गरीब ब्राह्मण ने लक्ष्मी जी की बात मानकर 16 दिनों तक विधि-विधान से महालक्ष्मी व्रत किया। फिर 16वें दिन उसने चंद्रमा को अर्घ्य दिया और अपनी मनोकामना मांगी। महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) के कारण लक्ष्मी जी ने उसकी मनोकामना पूरी की और उसका घर धन-धान्य से भर दिया।
महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) कथा का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो भी व्यक्ति महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) रखकर इस कथा को सुनता या है पढ़ता है, उसकी सारी मनोकामनाएं लक्ष्मी जी पूरा करती हैं और उसके घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं रहती है। महालक्ष्मी व्रत रखकर कथा का पाठ करने से करियर और कारोबार में भी तरक्की के योग बनते हैं।