• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

देवशयनी एकादशी पर करें इस स्तोत्र का पाठ, दूर हो जाएगी आर्थिक तंगी

Writer D by Writer D
04/07/2025
in Main Slider, धर्म, फैशन/शैली
0
Devshayani Ekadashi

Devshayani Ekadashi

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) का खास महत्व होता है, जो कि हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसर, देवशयनी एकादशी से जगत के पालनहार भगवान विष्णु विश्राम करने चले जाते हैं। इसके बाद देवउठनी एकादशी पर जागृत होते हैं। इस 4 महीने की अवधि को चातुर्मास कहा जाता है। देवशयनी एकादशी को बहुत पुण्यदायी माना गया है। देवशयनी एकादशी पर कनकधारा स्रोत का पाठ जरूर करना चाहिए। आइए जानें कि देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) पर कनकधारा स्तोत्र पढ़ने के क्या फायदे हैं।

कनकधारा स्तोत्र पढ़ने के क्या फायदे हैं?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी पर कनकधारा स्त्रोत का पाठ करना अपार सुख-समृद्धि दिलाता है। ऐसा कहते हैं कि इसका पाठ करने से बहुत ही जल्द व्यक्ति के जीवन की सभी जुड़ी समस्याओं का नाश हो जाता है। कहते हैं कि इसके रोजाना पाठ करने से पैसों की तंगी दूर होती है और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

कनकधारा स्तोत्र

अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्तीभृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम्।

अङ्गीकृताऽखिल-विभूतिरपाङ्गलीलामाङ्गल्यदाऽस्तु मम मङ्गळदेवतायाः॥

मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेःप्रेमत्रपा-प्रणहितानि गताऽऽगतानि।

मालादृशोर्मधुकरीव महोत्पले यासा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः॥

विश्वामरेन्द्रपद-वीभ्रमदानदक्षआनन्द-हेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि।

ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणर्द्धमिन्दीवरोदर-सहोदरमिन्दिरायाः॥

आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दआनन्दकन्दमनिमेषमनङ्गतन्त्रम्।

आकेकरस्थित-कनीनिकपक्ष्मनेत्रंभूत्यै भवेन्मम भुजङ्गशयाङ्गनायाः॥

बाह्वन्तरे मधुजितः श्रित कौस्तुभे याहारावलीव हरिनीलमयी विभाति।

कामप्रदा भगवतोऽपि कटाक्षमाला,कल्याणमावहतु मे कमलालयायाः॥

कालाम्बुदाळि-ललितोरसि कैटभारे-धाराधरे स्फुरति या तडिदङ्गनेव।

मातुः समस्तजगतां महनीयमूर्ति-भद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनायाः॥

प्राप्तं पदं प्रथमतः किल यत् प्रभावान्माङ्गल्यभाजि मधुमाथिनि मन्मथेन।

मय्यापतेत्तदिह मन्थर-मीक्षणार्धंमन्दाऽलसञ्च मकरालय-कन्यकायाः॥

दद्याद् दयानुपवनो द्रविणाम्बुधारामस्मिन्नकिञ्चन विहङ्गशिशौ विषण्णे।

दुष्कर्म-घर्ममपनीय चिराय दूरंनारायण-प्रणयिनी नयनाम्बुवाहः॥

इष्टाविशिष्टमतयोऽपि यया दयार्द्र दृष्ट्यात्रिविष्टपपदं सुलभं लभन्ते।

दृष्टिः प्रहृष्ट-कमलोदर-दीप्तिरिष्टांपुष्टिं कृषीष्ट मम पुष्करविष्टरायाः॥

गीर्देवतेति गरुडध्वजभामिनीतिशाकम्भरीति शशिशेखर-वल्लभेति।

सृष्टि-स्थिति-प्रलय-केलिषु संस्थितायैतस्यै नमस्त्रिभुवनैकगुरोस्तरुण्यै॥

श्रुत्यै नमोऽस्तु नमस्त्रिभुवनैक-फलप्रसूत्यैरत्यै नमोऽस्तु रमणीय गुणाश्रयायै।

शक्त्यै नमोऽस्तु शतपत्र निकेतनायैपुष्ट्यै नमोऽस्तु पुरुषोत्तम-वल्लभायै॥

नमोऽस्तु नालीक-निभाननायैनमोऽस्तु दुग्धोदधि-जन्मभूत्यै।

नमोऽस्तु सोमामृत-सोदरायैनमोऽस्तु नारायण-वल्लभायै॥

नमोऽस्तु हेमाम्बुजपीठिकायैनमोऽस्तु भूमण्डलनायिकायै।

नमोऽस्तु देवादिदयापरायैनमोऽस्तु शार्ङ्गायुधवल्लभायै॥

नमोऽस्तु देव्यै भृगुनन्दनायैनमोऽस्तु विष्णोरुरसि स्थितायै।

नमोऽस्तु लक्ष्म्यै कमलालयायैनमोऽस्तु दामोदरवल्लभायै॥

नमोऽस्तु कान्त्यै कमलेक्षणायैनमोऽस्तु भूत्यै भुवनप्रसूत्यै।

नमोऽस्तु देवादिभिरर्चितायैनमोऽस्तु नन्दात्मजवल्लभायै॥

सम्पत्कराणि सकलेन्द्रिय-नन्दनानिसाम्राज्यदान विभवानि सरोरुहाक्षि।

त्वद्-वन्दनानि दुरिताहरणोद्यतानिमामेव मातरनिशं कलयन्तु नान्यत्॥

यत्कटाक्ष-समुपासनाविधिःसेवकस्य सकलार्थसम्पदः।

सन्तनोति वचनाऽङ्गमानसैःस्त्वां मुरारि-हृदयेश्वरीं भजे॥

सरसिज-निलये सरोजहस्तेधवळतरांशुक-गन्ध-माल्यशोभे।

भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञेत्रिभुवन-भूतिकरि प्रसीद मह्यम्॥

दिग्घस्तिभिः कनककुम्भमुखावसृष्टस्वर्वाहिनीविमलचारु-जलप्लुताङ्गीम्।

प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेषलोकाधिराजगृहिणीम मृताब्धिपुत्रीम्॥

कमले कमलाक्षवल्लभेत्वं करुणापूर-तरङ्गितैरपाङ्गैः।

अवलोकय मामकिञ्चनानांप्रथमं पात्रमकृत्रिमं दयायाः॥

स्तुवन्ति ये स्तुतिभिरमीभिरन्वहंत्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमाम्।

गुणाधिका गुरुतरभाग्यभागिनोभवन्ति ते भुविबुधभाविताशयाः॥

कनकधारा स्तोत्र पाठ कितनी बार करना चाहिए?

कनकधारा स्तोत्र का पाठ आप अपनी श्रद्धा के अनुसार जितनी बार चाहें कर सकते हैं। आमतौर पर इसे दिन में एक बार या 108 बार पाठ करने की सलाह दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि एकादशी, शुक्रवार और पूर्णिमा के दिन इसका पाठ करना विशेष रूप से फलदायी होता है।

Tags: Devshayani Ekadashi
Previous Post

चातुर्मास में इस दिन पड़ेगा पहला प्रदोष व्रत, नोट करें शुभ मुहूर्त

Next Post

नहाकर किस्मत भी चमका सकते हैं, जानिए कैसे

Writer D

Writer D

Related Posts

Pneumonia
फैशन/शैली

बेबी को निमोनिया से इन उपायों से मिलेगी राहत

04/07/2025
Main Slider

मच्छरों से है परेशान, छुटकारा दिलाएगी ये चीजें

04/07/2025
Talcum Powder
फैशन/शैली

जरुरत से ज्यादा लगाती हैं टेलकम पाउडर, जान लें इसके नुकसान

04/07/2025
Masala Puri
खाना-खजाना

इन चीजों के साथ परोस सकते हैं यह डिश, शानदार बन जाएगा दिन

04/07/2025
Spinach Corn Cheese Momos
खाना-खजाना

इस तरह से बनाइए ये डिश, बन जाएगा बच्चों का फेवरेट

04/07/2025
Next Post
Bathing

नहाकर किस्मत भी चमका सकते हैं, जानिए कैसे

यह भी पढ़ें

लेजर वेपन

भारत खुद को मजबूत बनाने के लिए तैयार कर रहा है आधुनिक लेजर वेपन

11/08/2020
Azam khan

आजम खान के साथ उनके बेटे अब्दुल्ला आजम भी हुए कोरोना पॉज़िटिव

02/05/2021
Wholesale Inflation

अगस्त में थोक मुद्रा स्फीति बढ़कर शून्य से नीचे

14/09/2023
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version