अयोध्या। राममंदिर (Ram Mandir) के परकोटे में पत्थरों पर धार्मिक थीम नहीं उकेरी जाएगी बल्कि कांस्य पर धार्मिक चित्रण कर इसे परकोटे में ही सजाने की योजना बन रही है। यह सुझाव यहां हुई ट्रस्ट व समिति की बैठक में हुआ है। इस बार एक दिन ट्रस्ट व एक दिन मंदिर निर्माण समिति की बैठक हुई, जबकि हर बार समिति की बैठक दो दिन होती थी।
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय (Champat Rai) ने बताया कि राममंदिर (Ram Mandir) का परकोटा 800 मीटर लंबा व 14 फीट चौड़ा होगा। परकोटा चारों दिशाओं में आयताकार होगा। बताया कि राममंदिर के स्तंभों, लोअर प्लिंथ समेत परकोटे में रामायण आधारित व धार्मिक थीम उकेरी जाएगी। स्तंभों में जहां 6400 मूर्तियां बनेंगी वहीं लोअर प्लिंथ में भी 100 प्रसंग उकेरे जाएंगे। इसके अलावा परकोटे में 150 धार्मिक चित्र बनाने की योजना है।
उन्होंने कहा कि परकोटे में छह मंदिर भगवान सूर्य, माता सीता, गणपति, शंकर, हनुमान के बनाएं जाएंगे। सीता रसोई में मां अन्नपूर्णा का मंदिर बनेगा इस पर लगभग सबकी स्वीकृति हो गयी है। इसके अलावा परकोटे के बाहर महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषादराज, शबरी, अहिल्या और जटायु की मूर्ति लगाई जाएगी, ये भी फाइनल है। एक नया सुुझाव आया है कि सुग्रीव भगवान राम के सखा थे। ऐसे में परिसर में उन्हें भी कहीं स्थान दिया जाए, वास्तुकारों से इसको लेकर तालमेल बैठाने को कहा गया है।
अलग से बनेगा रामलला का धनुष, तीर व मुकुट
राममंदिर ट्रस्ट व निर्माण समिति की दो दिन तक हुई बैठक में इस बार राममंदिर (Ram Mandir) की अचल मूर्ति को लेकर विस्तृत मंथन हुआ है। अचल मूर्ति 8.5 फीट ऊंची खड़ी मुद्रा में बनाने का विचार चल रहा है। मूर्ति में रामलला का धनुष, तीर व मुकुट अलग से बनाकर लगाया जाएगा।
दो दिनी बैठक का निष्कर्ष साझा करते हुए श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि रामलला की अचल मूर्ति में बाल सुलभ कोमलता झलकनी चाहिए, इस पर सहमति बनी है। बालक होने के बाद भी धनुष रामलला की पहचान है। निर्णय हुआ है कि धनुष, तीर व मुकुट अलग से बनाया जाएगा।
बैठक में मूर्ति की नक्काशी अयोध्या में ही हो, इसकी चर्चा हुई। हालांकि बैठक में शामिल मूर्तिकारों का मत था कि जहां उनकी वर्कशॉप है, वहीं मूर्ति बनाई जाए। यह भी तय हुआ कि एक ही प्रकार की मूर्ति को चार-पांच लोग बनाएं, चित्र एक होगा। कई लोग भगवान के गुणों को ध्यान में रखते हुए चित्र बनाएं। जो चित्र बनेगा वह पहले मिट्टी का, फिर फाइबर की प्रतिमा होगी।
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फाइबर के बाद पत्थर की मूर्ति बनेगी। यही मूर्ति बनाने की पद्धति है। बताया कि बैठक में पुणे, कर्नाटक, उड़ीसा, मुंबई से चित्रकार आए थे। रामलला की अचल मूर्ति धातु या पत्थर में बनेगी यह मूर्ति का चित्र फाइनल होने पर तय किया जाएगा।