वास्तु के निर्माता विश्वकर्मा ने अपने ‘वास्तु प्रकाश’ में कई ऐसी बातें बताई हैं, जिनसे न केवल घर का वास्तु दोष निवारण हो जाता है बल्कि जीवन भी सुखमय बीतता है-
>> भोजन ग्रहण करें तो थाली दक्षिण-पूर्व की ओर रखें और पूर्वाभिमुख होकर भोजन करें। पानी पीते समय अपना मुख उत्तर-पूर्व की ओर रखें।
>> घर में कोई पूजास्थल है तो उसे उत्तर-पूर्व (ईशान) कोण में रखें।
>> सम्यक उन्नति के लिए लक्ष्मी, गणेश, कुबेर, स्वास्तिक, ॐ, मीन आदि मांगलिक चिन्ह मुख्य द्वार के ऊपर स्थापित करें।
>> द्वार दोष और वेध दोष को दूर करने के लिए शंख, सीप, समुद्री झाग, कौड़ी लाल कपड़े में या मौली में दरवाजे पर लटकाएं।
>> घर के सभी प्रकार के वास्तु दोष दूर करने के लिए मुख्य द्वार पर एक ओर केले का वृक्ष, दूसरी ओर तुलसी का पौधा गमले में लगाएं।
>> दक्षिण-पूर्व, उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम कोण में कुआं या ट्यूबवैल है तो उसे भरवा कर उत्तर-पूर्व कोण में ट्यूबवैल या कुआं खुदवाएं, अन्य दिशा में कुएं भरवा न सकें तो उसे प्रयोग में लाना बंद कर दें अथवा उत्तर-पूर्व में एक ओर ट्यूबवैल या कुआं लगवाएं जिससे वास्तु का संतुलन हो सके।
>> बीम का दोष शांत करने के लिए इसे सीलिंग टॉयल्स से ढंक दें। बीम के दोनों ओर बांस की बांसुरी लगाएं।