नई दिल्ली। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर घुसपैठ की घटना ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भविष्य को खतरे में डाल दिया है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन द्वारा भारतीय सैनिकों को एलएसी पर पीछे धकेलने में विफल रहा। इससे पता चलता है कि दुनिया को शी जिनपिंग की भयभीत करने की क्षमता में कमी आई है।
न्यूजवीक पत्रिका में एक वकील और टिप्पणीकार गॉर्डन जी चांग द्वारा लिखित एक लेख में कहा गया कि एलएसी के क्षेत्रों में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने भारतीय सैनिकों से मुंह की खाई है। इस घुसपैठ की विफलता के चलते चीनी राष्ट्रपति का भविष्य खतरे में पड़ गया है।
भारत पर हमले के वास्तुकार थे जिनपिंग
चांग ने लिखा, जिनपिंग भारत के खिलाफ इन आक्रामक कदमों के वास्तुकार थे, लेकिन चीनी सैनिक जिनपिंग के मंसूबों को कामयाब करने में अप्रत्याशित रूप से फ्लॉप हो गए। एलएसी पर चीनी सेना की विफलताओं के दूरगामी परिणाम होंगे और जिनपिंग अब सशस्त्र बलों में विरोधियों की जगह अपने वफादारों को पद पर काबिज करेंगे।
यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि इस विफलता के चलते चीन के शासक शी जिनपिंग भारत के खिलाफ एक और आक्रामक कदम उठाने के लिए उत्तेजित होंगे। गौरतलब है कि जिनपिंग पार्टी के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के अध्यक्ष भी हैं और पीएलए के नेता भी हैं।
एलएसी पर घुसपैठ सोची-समझी चाल
मई की शुरुआत में ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के दक्षिण में चीन की फौजें आगे बढ़ीं। लद्दाख में तीन अलग-अलग इलाकों में एलएसी एशिया के दो सबसे बड़े देशों के बीच अस्थायी सीमा है। यहां पर सीमा तय नहीं है और इसलिए पीएलए भारत की सीमा में घुसती रहती है। यहां घुसपैठ तब से ज्यादा बढ़ गई है, जब 2012 में शी जिनपिंग पार्टी के जनरल सेक्रेटरी बनें।
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फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज के क्लिओ पास्कल ने न्यूजवीक को बताया कि तिब्बत के स्वायत्तशासी क्षेत्र में चीन का लगातार युद्धाभ्यास इस इलाके में छिपकर आगे बढ़ने की तैयारियां हैं। वहीं, चीन द्वारा 15 जून को गलवान घाटी में हुई घुसपैठ को लेकर भारत चकित रह गया। यह पूरी तरह से सोची-समझी चाल थी और चीन के सैनिकों के साथ झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए। दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देशों के बीच पिछले 45 सालों में हुई यह पहली भिड़ंत थी।
अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में बताया गया कि इस घटना में चीन के 43 जवान मारे गए। वहीं, पास्कल ने बताया कि यह आंकड़ा 60 से अधिक हो सकता है। भारतीय जवान बहादुरी से लड़े। दूसरी तरफ, चीन ने खुद को हुए नुकसान को नहीं बताया है।
शी ने दिखाया है कि वह सेना के राजनीतिक जमावड़े में अच्छे हैं और सैन्य उपकरणों पर बड़ी राशि खर्च कर सकते हैं। उन्होंने अन्य देशों को डराने की कला को भी ठीक तरीके से अंजाम दिया है। हालांकि, चीनी राष्ट्रपति ने अभी तक अपनी सेना के साथ मिलकर लड़ाई नहीं लड़ी है।
चांग ने कहा कि दुर्भाग्य से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जिनपिंग कुछ साबित करना चाहते हैं। परिणामस्वरूप, वह भारत पर हमले के लिए एक और प्रयास शुरू कर सकते हैं, ताकि वह अपने खोए हुए रुतबे को फिर से हासिल कर सकें।