रोहिणी व्रत (Rohini Vrat ) जैन समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण माना जाता है। रोहिणी व्रत उस दिन मनाया जाता है, जब सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र पड़ता है। इस बार यह 6 जून को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति को लंबी उम्र का वरदान मिलता है और जीवन में सभी तरह की खुशियां मिलती हैं। आइए, जानते हैं कि रोहिणी व्रत (Rohini Vrat ) में भगवान वासुपूज्य की पूजा किस तरह करनी चाहिए।
रोहिणी व्रत (Rohini Vrat ) पूजा विधि
– रोहिणी व्रत (Rohini Vrat ) के दिन सुबह स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
– इसके बाद सूर्य देव को जल चढ़ाएं।
– इस दौरान सच्चे मन से ‘ओम सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करें।
– एक चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान वासुपूज्य की मूर्ति स्थापित करें।
– भगवान को फल, फूल आदि अर्पित करें।
– इस व्रत में रात के समय खाना खाने की मनाही होती है।
– सूर्यास्त से पहले आरती करें और फल खाएं।
– मान्यता है कि इस दिन विशेष चीजों का दान करने से लाभ मिलता है।
वासुपूज्य भगवान की आरती
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी, प्रभु जय वासुपूज्य स्वामी।
पंचकल्याणक अधिपति स्वामी, तुम अन्तर्यामी ।।
चंपापुर नगरी भी स्वामी, धन्य हुई तुमसे।
जयरामा वसुपूज्य तुम्हारे स्वामी, मात पिता हरषे ।।
बालब्रह्मचारी बन स्वामी, महाव्रत को धारा।
प्रथम बालयति जग ने स्वामी, तुमको स्वीकारा ।।
गर्भ जन्म तप एवं स्वामी, केवल ज्ञान लिया।
चम्पापुर में तुमने स्वामी, पद निर्वाण लिया ।।
वासवगण से पूजित स्वामी, वासुपूज्य जिनवर।
बारहवें तीर्थंकर स्वामी, है तुम नाम अमर ।।
जो कोई तुमको सुमिरे प्रभु जी, सुख सम्पति पावे।
पूजन वंदन करके स्वामी, वंदित हो जावे ।।
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी, प्रभु जय वासुपूज्य स्वामी।
पंचकल्याणक अधिपति स्वामी, तुम अन्तर्यामी ।।