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मंदिर की अनोखी पहल, रोजेदारों को इफ्तार के लिए परिसर में किया आमंत्रित 

अहमदाबाद। गुजरात के एक ऐतिहासिक हिंदू मंदिर ने सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल कायम की है। बनासकांठा में इस बार रमजान (Ramadan) में एक अनोखी पहल करते हुए वरंदा वीर महाराज मंदिर के पुजारी पंकज ठाकर ने पहली बार दलवाना के मुस्लिम निवासियों को मंदिर में रमजान का उपवास  तोड़ने के लिए आमंत्रित किया।

इसके लिए वरंदा वीर महाराज मंदिर में इफ्तार (Iftar) की दावत का आयोजन किया गया। इस इफ्तार की दावत में गांव के कम से कम 100 मुस्लिम निवासियों को रमजान का उपवास तोड़ने के लिए आमंत्रित किया गया।

बनासकांठा जिले के दलवाना गांव में मंदिर ने रमजान के पवित्र महीने के दौरान मुसलमानों के उपवास तोड़ने के लिए अपना दरवाजा खोल दिया। शुक्रवार को वरंदा वीर महाराज मंदिर ने इफ्तार का आयोजन किया और गांव के कम से कम 100 मुस्लिम निवासियों को अपना रमजान उपवास तोड़ने और फिर मंदिर परिसर में नमाज अदा करने के लिए बुलाया।

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ये मंदिर लगभग 1200 साल पुराना बताया जाता है और गांव के लोगों के लिए इसका विशेष महत्व है। यह पहली बार था जब दलवाना के मुस्लिम निवासियों को इस तरह के अवसर के लिए आमंत्रित किया गया था। मंदिर के पुजारी पंकज ठाकर ने कहा कि गांव के लोग हमेशा सहअस्तित्व और भाईचारे में विश्वास करते हैं।

उन्होंने कहा कि जब भी उनके त्योहारों की तारीखें एक साथ होती हैं तो गांव के निवासी हमेशा एक-दूसरे की मदद करते हैं। इस साल मंदिर ट्रस्ट और ग्राम पंचायत ने मुस्लिम रोज़ेदारों को अपना उपवास तोड़ने के लिए मंदिर परिसर में आमंत्रित करने का फैसला किया। पंकज ठाकर ने कहा कि ‘हमने अपने गांव के 100 से अधिक मुस्लिम रोजेदारों के लिए पांच से छह तरह के फल, खजूर और शर्बत की व्यवस्था की।

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मैंने निजी रूप स्थानीय मस्जिद के मौलाना साहब और सभी रोजेदारों का स्वागत किया।’ जबकि स्थानीय मुस्लिम व्यवसायी वसीम खान ने कहा कि गांव के लोग मिल-जुलकर रहते हैं और अपने त्योहारों को मिलकर मनाते हैं। वसीम ने बताया कि ग्राम पंचायत ने हिंदुओं और मुसलमानों दोनों से संपर्क किया और उन्हें एक प्रस्ताव दिया कि मुसलमानों को शुक्रवार को मंदिर में अपना रोजा तोड़ना चाहिए

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