देवघर। त्रिकूट पहाड़ पर रविवार शाम को बड़ा हादसा हो गया। यहां देर शाम पर्यटकों के लिए संचालित कई ट्रालियाँ (Ropeway Accident) आपस में टकरा गईं, जिससे एक की मौत हो गई, 48 लोग अभी भी फंसे हुए हैं।
रोप-वे हादसे के बाद सोमवार की सुबह राहत और बचाव कार्य फिर शुरू किया। हालांकि, तारों के जाल के कारण NDRF और सेना के कमांडो छह घंटे की मशक्कत के बाद भी रेस्क्यू नहीं कर पाए हैं। ऑपरेशन में दो हेलिकॉप्टर लगे हैं। स्थिति यह है कि रविवार की शाम करीब 4 बजे से 48 लोग 18 घंटे से ज्यादा समय से ट्रॉली में फंसे हवा में लटके हैं।
रातभर लोग रोप-वे की ट्रॉली में बैठे हवा में लटके रहे। एक-दूसरे से बात करके डर को खत्म किया। देर रात केबिन में फंसे लोगों तक खाने का पैकेट पहुंचाने की कोशिश हुई। हालांकि कई लोगों तक खाना-पानी नहीं पहुंच सका। NDRF की टीम ने ओपन ट्राॅली से पैकेट केबिन में फेंकने की कोशिश की। सबकी हिम्मत बढ़ाने का प्रयास किया गया। सुबह होते ही सेना ने रेस्क्यू शुरू कर दिया। सुबह करीब साढ़े छह बजे वायु सेना का हेलिकॉप्टर पहुंचा। इसमें कमांडो भी मौजूद हैं। हेलिकॉप्टर ने ऑपरेशन शुरू करने से पहले हवाई सर्वे किया। हवा में अटके ट्राॅली में फंसे लोगों को सुरक्षित नीचे उतारने की योजना तैयार की गई।
देवघर जिला प्रशासन के आला अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए हैं और लोगों को जल्द से जल्द निकालने की कोशिश कर रहे हैं। दरअसल रविवार को रामनवमी के मौके पर यहां सैकड़ों लोग घूमने आए थे और वो रोपवे पर सवार थे। अचानक रोपवे की ट्रॉलियां एक दूसरे से टकरा गईं जिससे यह हादसा हुआ।
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घटना को लेकर एक पर्यटक ने बताया कि हादसा उस वक्त हुआ जब एक ट्रॉली ऊपर चढ़ रही थी और दूसरी ट्रॉली नीचे आ रही थी, इसी दौरान दोनों ट्रॉलिया एक दूसरे के संपर्क में आ गईं जिससे उनमें टक्कर हो गई। फिलहाल कुछ घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
जानकारी के मुताबिक दो ट्रॉलियों के टकराने के बाद अन्य ट्रॉलियां भी अपनी जगह से हट गईं (डिस्प्लेस) जिससे वो भी जाकर पत्थर से टकरा गईं।
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वहीं हादसे के बाद देवघर के जिला कलेक्टर मंजूनाथ भैजंत्री ने बताया कि रोपवे सर्विस को बंद कर दिया गया है और घायलों को इलाज के लिए देवघर के सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
हादसे के बाद गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने घायलों के प्रति संवेदना जताई। उन्होंने केंद्र सरकार और झारखंड सरकार के मुख्य सचिव से तुरंत मौके पर एनडीआरएफ की टीमों को भेजने का आग्रह किया।
बता दें तीन शिखरों का पर्वत होने की वजह से इसका नाम त्रिकूट पर्वत है। देवघर से करीब 13 किलोमीटर दूर दुमका रोड पर त्रिकूट पर्वत है जहां पर्यटन के लिए रोपवे सेवा संचालित की जाती है। त्रिकूट रोपवे भारत का सबसे ऊंचा रोपवे सर्विस है।