कोई भी असली रुद्राक्ष धारण करने से मन व शरीर की नकारात्मक उर्जा दूर होकर व्यक्ति को नरात्मक विचार, अनचाहे भय से मुक्ति व निराशा व आलस्य दूर होकर मन मे कार्य करने की ऊर्जा का संचार होता है।
शिव महापुराण अनुसार रुद्राक्ष एक मुखी से 38 मुखी तक व उन सबका प्रभाव अलग – अलग होता है। हम यहां प्रमुख तीन रुद्राक्ष और उनके प्रभाव के बारे में आपको बता रहे हैं।
एक मुखी रुद्राक्ष
यह गोल व काजू के आकार में होता है। इसे धारण करने से आध्यात्मिक उन्नति, एकाग्रता, सांसारिक, शारीरिक, मानसिक मनोबल में वृद्धि व नेत्र संबंधी रोग, सिर दर्द, हृदय का दौरा, पेट, हड्डी व ब्लड प्रेशर से संबंधित रोगों मे लाभ मिलता है। जन्मपत्री मे सूर्य गृह कमजोर होने पर एक मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
दो मुखी रुद्राक्ष
इसे शिव शक्ति का स्वरूप व इसे धारण करने पर पति पत्नी, पिता पुत्र व साझेदारों से सम्बन्ध मधुर होते हैं। जिन स्त्रियों को गर्भ से सम्बंधित कोई इन्फेक्शन या संतान उत्पत्ति मे परेशानी हो, उनके लिए यह बहुत लाभदायक है।
जन्मपत्री मे चन्द्रमा कमजोर होने पर दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से चंद्र गृह को बल व व्यक्ति मानसिक रूप से मजबूत होकर सही निर्णय लेता है।
चार मुखी रुद्राक्ष
चार मुखी नेपाली रुद्राक्ष धारण करने से दिमागी, स्मरण शक्ति, वाणी, तुतलाना, अस्थमा, चर्म रोग दूर व वाणी मे मिठास आती है. ज्योतिष मे चार मुखी रुद्राक्ष का स्वामी बुध गृह है। जन्मकुण्डली व हाथो की रेखा मे बुध गृह कमजोर / पीड़ित, कुर्र ग्रहो से दृष्ट, नीच राशि मे या अस्त हो व जो व्यक्ति अच्छा पन्ना रत्न धारण नहीं कर सकते, उन्हे चार मुखी रुद्राक्ष जरुर धारण करना चाहिए।
बच्चो को चार मुखी रुद्राक्ष धारण करवाने से उनकी एकाग्रता, स्मरण शक्ति मे वृद्धि होकर कोई भी सवाल जल्दी याद होकर परीक्षा में अपनी मेहनत के अनुसार सफलता प्राप्त व उनकी जिद की प्रवृत्ति दूर होकर वाणी मे मिठास आती है।