रूस। रूस का अमेरिका के साथ बढ़ता तनाव अब एक नए मोड़ पर पंहुच गया है। बाल्टिक सागर में रूस और अमेरिका की तनातनी के बीच रूस ने एक अहम फैसला लिया है। उसने इस बढ़ते तनाव के बीच अपने अचूक निशाने वाले बीएमपीटी – 72 टर्मिनेटर टैंक को तैनात कर दिया है। यह टैंक गोलों की बारीश कर सकता है, दुश्मन के हेलिकॉप्टर और कम स्पीड से उड़ने वाले विमानों को निशाना लगाने में सक्षम है। माना जा रहा है कि रूस की इस नई तैनाती से अमेरिका के साथ उसके संबंध और बिगड़ सकते हैं।
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रूस ने बाल्टिक सागर में अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच अपने अचूक निशाने वाले बीएमपीटी -72 टर्मिनेटर टैंक को तैनात कर दिया है। यह टैंक गोले बरसाने के साथ दुश्मनों के हेलिकॉप्टर और कम स्पीड से उड़ने वाले विमानों को भी मार गिराने में सक्षम है। इन टैंको को रूस के केंद्रीय सैन्य जिले में तैनात किया गया है। माना जा रहा है कि रूस की इस नई तैनाती से अमेरिका के साथ उसके संबंध और बिगड़ सकते हैं।
इस टैंक को रूस की कंपनी Uralvagonzavod ने बनाया है। टर्मिनेटर के नाम से मशहूर यह टैंक शहरी क्षेत्र में लड़ाई के दौरान अपने दूसरे साथी टैंक्स और ऑर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल को नजदीकी सहायता प्रदान करता है। जिससे दुश्मनों के हेलिकॉप्टर, ड्रोन या कम ऊंचाई पर उड़ने वाले दूसरे हवाई जहाज निशाना नहीं बना पाते हैं। BMPT-72 टैंक को पहली बार 2013 में रूसी आर्म्स एक्सपो में प्रदर्शित किया गया था।
सीरिया में टर्मिनेटर ने दिखाई थी अपनी ताकत
टर्मिनेटर टैंक एक कॉम्बेट प्रूवन वेपन है। यानी युद्ध क्षेत्र में भी इस टैंक की महारत को साबित किया गया है। रूस ने इसे 2017 में सीरिया के युद्धग्रस्त क्षेत्रों में तैनात किया गया था। सीरिया के हेममीम हवाई अड्डे पर जब सीरियाई राष्ट्रपति बशर असद रूसी चीफ ऑफ जनरल जनरल वलेरी गेरासिमोव से मिले थे, तब उन तस्वीरों में यह टैंक दिखाई दिया था।
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टर्मिनेटर टैंक को घातक बनाते हैं ये हथियार
टर्मिनेटर टैंक के प्रमुख हथियारों में 130 एमएम की एटाका-30 मिसाइल लॉन्चर दो 30 मिमी 2 ए 42 ऑटो-तोप शामिल हैं। जबकि, इस टैंक के दूसरे हथियारों में दो 30 मिमी एजी -17 डी ग्रेनेड लांचर और 7.62 मिमी पीकेटीएम मशीन गन हैं। इस टैंक को रूस की प्रसिद्ध टी-72 मेन बैटल टैंक के चेचिस पर बनाया गया है। टी-72 टैंक का उपयोग रूस-भारत समेत दुनियाभर के कई देशों में किया जाता है। भारत समेत कई देश ऐसे भी हैं जो इस टैंक को लाइसेंस के तहत अपने ही देश में बनाते भी हैं।