हरिद्वार में 1 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच महाकुंभ (Haridwar Kumbh) का आयोजन किया गया है। बता दे कि अब तक कुंभ के दो शाही स्नान (Shahi snan) हो चुके हैं। पहला शाही स्नान महाशिवरात्रि के मौके पर और दूसरा शाही स्नान सोमवती अमावस्या के मौके पर हुआ है। वहीं आज 14 अप्रैल बुधवार को मेष संक्रांति के मौके पर तीसरा शाही स्नान हो रहा है।
ये स्नान सुबह 10.15 से शुरू होकर शाम 5.30 बजे तक चलेगा। वहीं आप को बता दे कि इस बार खास बात ये रहेगी कि इस स्नान के लिए साधु संत मेला प्रशासन ने 20 बिंदुओं की गाइडलाइंस जारी की हैं और उसकी पालना करना अनिवार्य होगा। साथ ही आयोजन के चलते देहरादून-हरिद्वार हाईवे पर ट्रैफिक व्यवस्था भी प्रभावित रहेगी। बता दे कि शंकराचार्य चौक से चंडी घाट चौराहा और हरकी पैड़ी घाट पर आम गाड़ियों की आवाजाही पूरी तरह से बंद रहेगी। वहीं साधु संतों के शाही स्नान करने तक हरकी पैड़ी पर बना ब्रह्मकुंड आम लोगों के लिए बंद रहेगा। इस दौरान आम श्रद्धालु आस पास के घाटों पर स्नान कर सकते हैं।
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संतों का शाही अंदाज दिखेगा
शाही स्नान के लिए आने वाले साधु संतों का भी इस दौरान शाही अंदाज दिखेगा। रथों, घोड़ों और पालकियों पर सवार संत जिस सड़क से भी गुजरेंगे उसकी पहले सफाई की जाएगी। इस दौरान संतों पर हेलिकॉप्टर से फूलों की वर्षा भी की जाएगी. इस दौरान अद्भुत नजारा होगा।
प्रसासन पूरी तरह तैयार
तीसरे शाही स्नान को लेकर प्रशासन पूरी तरह से तैयार है। शाही स्नान के लिए सबसे पहले सुबह 8.30 बजे पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा स्नान के लिए निकला। शंकराचार्य चौक से चंडीघाट होते हुए साधु-संत हरकी पैड़ी के ब्रह्मकुंड पहुंचेंगे। जहां सबसे पहले मां गंगा की आरती होगी और इसके बाद स्नान का सिलसिला शुरू होगा. हर अखाड़े को स्नान के लिए तकरीबन 20 से 30 मिनट का समय दिया गया है।
डीजीपी और अधिकारियों ने लिया व्यवस्था का जायजा
सुबह 7 बजे के बाद हर की पौड़ी अखाड़ों के लिए आरक्षित कर दी गई है। ऐसे में बाकी श्रद्धालु 7 बजे से पहले ही डुबकी लगा पाए। तीसरे शाही स्नान को लेकर डीजीपी, मेलाधिकारी और आईजी कुंभ ने शाही जुलूस के मार्गों का निरीक्षण कर व्यवस्था का जायजा लिया। डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि शाही स्नान के दौरान किसी भी आम नागरिक या श्रद्धालु को किसी तरह की परेशानी नहीं होने दी जाएगी।
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मरकज और कुंभ की कोई तुलना नहीं-सीएम रावत
इसी के साथ तीरथ सिंह रावत ने का मानना है कि कुंभ की तुलना निजामुद्दीन मरकज के कार्यक्रम से नहीं की जानी चाहिए। एक अंग्रेजी अखबार के साप्ताहिक ‘टॉक शो’ में मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि कुंभ और मरकज के बीच कोई तुलना नहीं होनी चाहिए । उन्होंने कहा कि कुंभ को मरकज से जोड़ना नहीं चाहिए क्योंकि मरकज एक कोठी की तरह की बंद जगह में हुआ था जबकि कुंभ का क्षेत्र बहुत बड़ा, खुला हुआ और विशाल है।
हरिद्वार कुंभ और निजामुद्दीन मरकज के बीच अन्य अंतर बताते हुए रावत ने यह भी कहा कि कुंभ में आ रहे श्रद्धालु बाहर के नहीं बल्कि अपने ही हैं । इसके अलावा, उन्होंने कहा कि जब मरकज हुआ था तब कोरोना के बारे में कोई जागरूकता नहीं थी और नाहीं कोई दिशा-निर्देश थे।