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सैफई पंचायत पर पहली दफा ‘मुलायम’ कुनबे का प्रधान नहीं बनेगा, ये है पेंच

सैफई पंचायत

सैफई पंचायत

इटावा। उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों में सर्वाधिक चर्चित मानी जाने वाली सैफई पंचायत पर पहली दफा मुलायम कुनबे का प्रधान नहीं बनेगा, क्योंकि यह पंचायत सीट इस बार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गयी है।

इससे पहले यह सीट कभी इस वर्ग के लिए आरक्षित नहीं रही, जिसके चलते यहां लगातार मुलायम सिंह यादव के बालसखा दर्शन सिंह यादव निर्विरोध प्रधान निर्वाचित होते रहे । अब दर्शन सिंह का निधन हो चुका है। इसलिए सैफई की प्रधानी पहली बार दर्शन सिंह यादव के बिना तय की जाएगी ।

सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के पैतृक गांव सैफई की सीट भी आरक्षित हो गई है । यहां इस बार दलित जाति का प्रधान बनेगा, लेकिन बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि सैफई गांव में साल 1971 से दर्शन सिंह यादव ही लगातार प्रधान बने रहे । इतने लंबे समय तक किसी ग्राम पंचायत का प्रधान रहने का यह अपने आप में देश का अनोखा मामला है ।

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सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के गांव सैफई के विकास में प्रधान दर्शन सिंह यादव का खासा योगदान रहा है । पिछले साल 17 अक्टूबर को दर्शन सिंह यादव के निधन के बाद मुलायम और दर्शन की दोस्ती टूट गई । सैफई के लोग दर्शन सिंह के निधन के बाद कहने लगे कि अब कृष्ण-सुदामा की जोड़ी टूट गई है ।

इटावा जिले के सैफई गांव की तस्वीर मुम्बई की तर्ज पर खड़ा करने के पीछे गांव के प्रधान दर्शन सिंह यादव का खास योगदान रहा । बड़े-बड़े मेट्रो शहरों में भी ऐसी सुविधाए नहीं है जो इस गांव में देखने को मिल जाती है ।

सैफई को वीवीआईपी ग्राम पंचायत बनाने के पीछे मुलायम सिंह यादव के मित्र दर्शन सिंह का अहम योगदान रहा । कम पढ़े-लिखे होने के बावजूद वह सरकारी बाबुओं पर कड़ी नजर रखते थे और गांव के विकास के लिए आए पैसे का हिसाब उनसे लेते थे । वैसे कहा तो यहां तक जाता था कि मुलायम सिंह यादव ने कह दिया था कि जब तक दर्शन सिंह हैं, तब तक कोई दूसरा प्रधान नहीं होगा और हुआ भी कुछ ऐसा ही। जब तक दर्शन सिंह जिंदा रहे वही सैफई के प्रधान बने रहे ।

दर्शन सिंह ग्राम पंचायत चुनाव के दौरान ग्राम पंचायत सदस्यों के नाम की मुहर लगा मुलायम सिंह के पास भिजवाते थे और उनकी रजामंदी के बाद वही सभी लोग निर्विरोध निर्वाचित हो जाते थे। दर्शन सिंह और सपा सरंक्षक मुलायम सिंह बचपन के दोस्त थे । मुलायम सिंह ने जब राजनीति में कदम रखा तो उनके कंधे से कंधा मिलाकर दर्शन सिंह चले ।

लोहिया आंदोलन के दौरान 15 साल की उम्र में मुलायम सिंह सियासत में कूद पड़े । इसी दौरान पुलिस ने उन्हें अरेस्ट कर लिया और फर्रूखाबाद जेल में बंद कर दिया । इसकी भनक जैसे ही दर्शन को हुई तो उन्होंने जेल के बाहर आमरण अनशन पर बैठ गए थे । इसके चलते जिला प्रशासन को मुलायम सिंह को रिहा करना पड़ा।

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