हर महीने की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। एकादशी की तरह ही चतुर्थी का व्रत भी एक महीने में दो बार रखा जाता है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकंष्टी चतुर्थी (Sakat Chauth) कहा जाता है, तो वहीं शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ व्रत रखा जाता है। सकट चौथ को तिलकुटा चौथ, वक्र-तुण्डि चतुर्थी और माघी चौथ के नाम से भी जाना जाता है।
सकट चौथ (Sakat Chauth) के दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और बेहतर स्वास्थ्य की कामना के लिए व्रत रखती हैं। आसान भाषा में कहें तो माघ माह की संकष्टी चतुर्थी को सकट चौथ कहते हैं। माघी संकष्टी चतुर्थी व्रत में भगवान गणेश और चंद्रदेव की उपासना की जाती है। यह व्रत मुख्य रूप से उत्तर भारत में काफी लोकप्रिय है। आइए जानते हैं कि जनवरी में सकट चौथ व्रत कब है
संकष्टी चतुर्थी (Sakat Chauth) 2025 कब है?
इस साल 2025 में सकट चौथ व्रत 17 जनवरी 2025 को रखा जाएगा। माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 17 जनवरी की सुबह 4:06 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि की समाप्ति 18 जनवरी की सुबह 5:30 मिनट पर होगी। 17 जनवरी 2025 यानी सकट चौथ के दिन चन्द्रोदय समय रात 9:09 बजे है।
तिल चौथ क्यों मनाई जाती है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत संतान प्राप्ति का वरदान देने वाला और संतान के जीवन के सभी विघ्न दूर करने वाला माना गया है। सकट चौथ का व्रत भगवान गणेश को समर्पित है और महिलाएं इसे अपने बच्चों की लंबी उम्र और सफल भविष्य के लिए करती हैं।
संकष्टी चतुर्थी यानी सकट चौथ (Sakat Chauth) के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही यह व्रत खोला जाता है, इसलिए संकष्ट चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन और पूजा का विशेष महत्व होता है। तिल चौथ के दिन गणपति की पूजा में तिल के करछुल और मिठाई रखकर चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलते हैं।
तिलकुट का व्रत क्यों रखा जाता है?
धर्म शास्त्र में वर्णित पौराणिक कथा के मुताबिक, भगवान श्रीगणेश का जन्म सकट चौथ पर हुआ था। इसी कारण तिलकुटा चतुर्थी पर काशी में गणेश उत्सव भी मनाया जाता है।