श्रावस्ती। विधानसभा चुनाव 2022 (UP Election) में विकास का मुद्दा गायब रहा है। जनपद के विधानसभा चुनाव में आए नतीजे धर्म के केंद्र बिंदु की ओर इशारा कर रहे हैं। धार्मिक आधार पर वोटरों में हुए बटवारे का नतीजा साफ तौर पर देखने को मिला। जिसके चलते बसपा (BSP) केवल कैडर वोट तक सिमट कर रह गई। वहीं मुस्लिम वोटों का लाभ केवल सपा (Samajwadi Party) को मिला। हालांकि समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) दोनों सीटों पर कब्जा करने में विफल रही है।
राजनीतिक विश्लेषक एवं पूर्व प्रवक्ता तथा कांग्रेस के फैजाबाद मंडल (पूर्व में) प्रभारी रहे लालजी पाठक का कहना है कि राजनीति का परिणाम आने से मन द्रवित होता है कि हमारा समाज कहा जा रहा है जीत जिस भी किसी भी दल की हो ,लेकिन जनता की भागीदारी विकास और संविधान को लेकर होनी चाहिए ,पर ऐसा नहीं है । जनपद में विधानसभा चुनाव में आए नतीजे आने वाले भविष्य की ओर इशारा कर रहे हैं। नतीजा यह बता रहा है कि जनपद की जनता के नजर में विकास का मुद्दा अब कोई मायने नहीं रखता। बल्कि धर्म की राजनीति ही वोटरों के सिर चढ़ कर बोलती है। इसका अंदाजा भिनगा विधानसभा सीट के नतीजों को देख कर ही लगाया जा सकता है। देखा जाए तो इस सीट पर मुसलिम मतदाता सबसे अधिक संख्या में हैं। इसके बाद यादव कुर्मी का गठबंधन है। यही नहीं अनुसूचित जाति वोटरों की संख्या भी अधिक है।
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चुनाव के दौरान क्षेत्रवार आए रुझान व मतगणना के परिणाम को देखा जाए तो मुसलिम यादव, कुर्मी गठबंधन भिनगा में भारी रहा। अनुसूचित जाति के एक बड़े वर्ग के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग व ब्राह्मणों का वोट भाजपा की ओर देखने को मिला। तो बसपा अपने कैडर वोट तक ही सिमट कर रह गई। अनुसूचित जाति में सरकार की ओर से कोविड काल में दिए गए मुफ्त राशन किट का असर पूरे चुनाव में देखने को मिला।
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इसी तरह से श्रावस्ती विधानसभा सीट पर भी रहा। वहां यादव व मुसलिम का गठजोड़ काम आया। जिसके चलते सपा का वोट प्रतिशत अचानक बढ़ गया। वहीं भाजपा को अन्य पिछड़ा वर्ग, सामान्य वर्ग व कुछ अनुसूचित जाति का साथ मिला। जिसके चलते उसका वोट प्रतिशत विगत चुनाव की अपेक्षा बढ़ा। जबकि विधानसभा चुनाव में व्यक्तिगत वोट की स्थिति गौड़ रही। और पार्टी का दबदबा कायम रहा। यही कारण रहा कि श्रावस्ती विधानसभा चुनाव 2017 में मात्र 445 मतों से हारे मोहम्मद रमजान जो 2022 के चुनाव में कांग्रेस से मैदान में थे। उन्हें मात्र 4640 मतों से ही संतोष करना पड़ा। और उनके कटर समर्थक भी उनका साथ छोड़ कर सपा को वोट किये। यही हाल भिनगा विधानसभा में बसपा प्रत्याशी के साथ भी देखा गया। भिनगा विधानसभा में एक लाख 20 हजार मुसलिम मतदाता और प्रत्याशी होने के बावजूद ददन खा को बसपा कैडर वोट से संतोष करना पड़ा।