एकादशी का व्रत माह में दो बार रखा जाता है। जिसमे से एक शुक्ल पक्ष की और दूसरा कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। लेकिन हर एकादशी का अपना एक अलग महत्व होता है। जिसमें से पौष माह में आने वाली एकादशी को सफला एकादशी (Saphala Ekadashi) कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को हर कार्य में सफलता मिलती है। साथ ही श्री हरि की कृपा से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
सफला एकादशी (Saphala Ekadashi) तिथि
हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार पौष माह कि एकादशी तिथि की शुरुआत 25 दिसंबर को रात 10 बजकर 29 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन 27 दिसंबर रात 12 बजकर 43 मिनट पर होगा। ऐसे में सफला एकादशी का व्रत 26 दिसंबर को रखा जाएगा।
सफला एकादशी (Saphala Ekadashi) पारण का समय
एकादशी व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है, इसलिए सफला एकादशी का पारण 27 दिसंबर को किया जाएगा। जिसका समय सुबह 7 बजकर 12 मिनट से लेकर 9 बजकर 16 मिनट तक रहेगा।
सफला एकादशी (Saphala Ekadashi) पूजा विधि
सफला एकादशी के दिन व्रत और पूजन के लिए सुबह उठकर स्नान करें। इसके बाद मंदिर की सफाई करें। फिर चौकी पर भगवान विष्णु जी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद घी का दीपक जलाएं और विष्णु जी को हल्दी, कुमकुम से तिलक करें। मिठाई और तुलसी दल का भोग लगाएं। शाम को विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। अंत में सफला एकादशी की कथा पढ़ें और आरती करें।
सफला एकादशी (Saphala Ekadashi) पूजा मंत्र
1- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
2- ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः
3- ॐ नमो नारायणाय
4- लक्ष्मी विनायक मंत्र
दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
5- धन-वैभव मंत्र
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
सफला एकादशी (Saphala Ekadashi) महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, सफला एकादशी का व्रत करने से भक्तों के सभी कार्यों आसानी से पूर्ण होते हैं। इस दिन मंदिर एवं तुलसी के नीचे दीपदान करने का भी बहुत महत्त्वपूर्ण माना गया है। ग्रंथों में सफला एकदशी एक ऐसे दिन के रूप में वर्णित है जिस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के सभी दुख दूर होते हैं और भाग्य खुल जाता है। इस एकदशी का व्रत रखने से मनुष्य की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं।