बांदा/शाहजहांपुर । भाजपा छोड़कर सपा में गये विधायकों पर प्रशासन की भृकुटि टेढ़ी हो गयी है। बांदा और शाहजहांपुर जिला प्रशासन ने पूर्व विधायकों, बांदा के पूर्व विधायक बृजेश प्रजापति को जहां नोटिस दी है वहीं शाहजहांपुर के पूर्व विधायक रोशनलाल वर्मा के भवनों और दुकानों की नाप -जोख शुरू कर दी है। रोशनलाल वर्मा ने इसे स्थानीय विरोधियों की साजिश बताते हुए कहा है कि उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से न्याय की उम्मीद है।
पूर्व विधायक रोशनलाल वर्मा की निगोही कस्बा में स्थित एक इमारत तथा भूखंड आदि की नाप नायब तहसीलदार जगत नारायण जोशी के नेतृत्व में राजस्व विभाग की टीम ने शुरू कर दी है।
तिलहर तहसील के उप जिलाधिकारी हिमांशु उपाध्याय ने बताया कि पूर्व विधायक रोशनलाल वर्मा के विरूद्ध कई शिकायतें थीं और इसी के चलते उनके भवन आदि की नाप-जोख के लिए नायब तहसीलदार जगत नारायण जोशी के साथ राजस्व दल को भेजा गया था। दल ने सोमवार देर रात तक नाप ली है। उन्होंने बताया कि जमीन की नाप के बाद इसे सरकारी नक्शे से मिलाने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
इधर, सपा के पूर्व विधायक रोशनलाल वर्मा ने मंगलवार को कहा कि जिस इमारत तथा भूखंड आदि की जांच की गई है वह उनकी पुत्रवधू के नाम से है और चुनावी रंजिश के चलते स्थानीय नेता द्वारा यह कार्यवाही करवाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि यह जमीन उनकी पुत्रवधू रुचि वर्मा के नाम है तथा 2010 में खरीदी गई है और वह स्वयं चाहते हैं कि इस जमीन की विधिवत नाप हो और उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर पूरा भरोसा है कि वह मामले की निष्पक्ष जांच कराएंगे।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सरकार से विद्रोह कर श्रम मंत्री से इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी में शामिल होने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में रोशन लाल वर्मा ने भी भाजपा से इस्तीफा देकर सपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। 2017 में वर्मा तिलहर क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे लेकिन 2022 के विधानसभा में वह सपा उम्मीदवार के तौर पर तिलहर में भाजपा उम्मीदवार सलोना कुशवाहा से पराजित हो गए।
वर्मा ने स्थानीय भाजपा नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा यह सब उन्हीं के इशारे पर किया जा रहा है।
वहीं, बांदा में पूर्व विधायक बृजेश कुमार प्रजापति को बिना नक्शा बनाए गए तीन मंजिला भवन को सामान हटाकर खुद गिराने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। बांदा विकास प्राधिकरण (बीडीए) अवैध निर्माण हटाएगा तो इसका खर्च भी वसूलेगा। इसकी नोटिस उनको दी गई है। सोमवार को बीडीए कार्यालय में पूर्व विधायक के अधिवक्ता रावेंद्र सिंह यादव और अधिशासी अभियंता के बीच करीब डेढ़ घंटे बहस चली थी, जिसके बाद भवन ढहाने का आदेश दिया गया था। बता दें, विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले ही तिंदवारी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे बृजेश कुमार प्रजापति भाजपा छोड़ स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ सपा में शामिल हो गए थे। उन्हें सपा ने तिंदवारी से चुनाव लड़ाया था, जहां हार गए थे। बीडीए सचिव राजेंद्र प्रसाद द्विवेदी ने बताया, शहर के बिजली खेड़ा मोहल्ले में जेएन डिग्री कालेज के पास पूर्व विधायक बृजेश प्रजापति ने 190 वर्गमीटर क्षेत्रफल के भूखंड में बेसमेंट व तीन मंजिला भवन बनवाया है। चौथे तल पर भी निर्माण है। चुनाव आचार संहिता खत्म होने के बाद उन्हें 24 मार्च को नोटिस जारी कर नक्शा व अन्य अभिलेख मांगे गए थे। नोटिस देने के लिए तीन दिन तक कर्मचारी सियालाल उनके घर गया पर मुख्य द्वार पर ताला बंद होने के चलते उसे चस्पा किया गया था। सात अप्रैल को प्रतिनिधि के तौर पर उनके अधिवक्ता रावेंद्र आए पर कोई साक्ष्य नहीं दिए। गुमराह करने के लिए हाउस टैक्स, वाटर टैक्स, बिजली बिल की छायाप्रति दी गई। इससे न तो भूमि पर स्वामित्व सिद्ध होता है और न ही अनाधिकृत निर्माण की वैधता प्रमाणित होती है। कई बार सुनवाई और समय देने के बाद भी कोई साक्ष्य नहीं दिए। वहीं, इस संबंध में पूर्व विधायक बृजेश प्रजापति से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
बांदा विकास प्राधिकरण सचिव के न्यायालय में बिजलीखेड़ा स्थित तिमंजिला भवन को ढहाने संबंधित आदेश को लेकर पूर्व विधायक बृजेश कुमार प्रजापति ने मंडलायुक्त दिनेश कुमार सिंह के न्यायालय में गुहार लगाई है। उन्होंने कहा है कि उन्हें बीडीए से न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है। मामले की सुनवाई करते हुए मंडलायुक्त ने आख्या तलब की है। अब 25 अप्रैल को सुनवाई होगी।