नई दिल्ली| शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों को 1 सितंबर से निवेशकों की शिकायतों को 60 दिन के अंदर निपटारा करना होगा। इस अवधि के अंदर निपटारा नहीं करने पर कंपनी को रोजाना 1000 रुपये पेनल्टी के तौर पर चुकाना होगा। बाजार नियामक सेबी ने निवेशकों के हित में ध्यान रखकर यह नया निर्देश जारी किया है।
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सेबी ने अपने नए सर्कुलर में कहा कि कंपनियों से निवेशकों की शिकायतों को आमतौर पर 30 दिन के अंदर निपटारा करने की उम्मीद की जाती है। अगर कंपनी इस अवधि के दौरान शिकायत का निपटरा नहीं कर पाती है तो वह सेबी के वेब आधारित केंद्रीकृत शिकायत निपटान प्रणाली ‘स्कोर्स’ के पास चली जाती है। सर्कुलर में कहा गया है, सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा 60 दिनों से अधिक समय से लंबित निवेशक शिकायतों के निवारण नहीं करने पर शेयर बाजार प्रति दिन 1,000 का जुर्माना लगा सकता है। अगर सूचीबद्ध कंपनी जुर्माना का भुगतान करने या शिकायत को 15 दिनों के भीतर हल करने में सफल नहीं होती है तो शेयर बाजार 10 दिनों तक की अवधि बढ़ाने के लिए रिमाइंडर भेज सकता है। इसके बाद भी अगर कंपनी एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) जमा करने में विफल रहती है तो डिपॉजिटरी प्रमोटरों के डीमैट खाते को तुरंत फ्रीज कर देगी।
सेबी ने निवेशकों से अपनी शिकायतें सिर्फ वेब आधारित केंद्रीकृत शिकायत निपटान प्रणाली स्कोर्स पर दर्ज कराने को कहा है। सेबी ने अपने सर्कुलर में कहा कि सूचीबद्ध कंपनियों, रजिस्टर्ड मध्यवर्ती इकाइयों या अन्य के खिलाफ सेबी की वेबसाइट या सेबी अधिकारियों की आधिकारिक आईडी पर भेजी गई शिकायतों पर विचार नहीं किया जाएगा। सिर्फ स्कोर्स पर भेजी गई शिकायतों की सुनवाई होगी।
इससे पहले सेबी की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया था कि जो भी निवेशक शिकायत दर्ज करना चाहते हैं उन्हें अपना रजिस्ट्रेशन स्कोर्स पर कराना होगा। शिकायत के लिए रजिस्ट्रेशन कराने के लिए निवेशक को आवश्यक जानकारी मसलन नाम, पैन, पता और ई-मेल आईडी उपलब्ध करानी होगी। पिछले कुछ समय से सेबी ने निवेशकों के हित में कई जरूरी बदलाव किए हैं। हाल ही में सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों से कहा है कि वे कोरोना का उनके व्यवसाय पर पड़े प्रभाव के बारे में निवेशकों और हितधारकों को सही समय पर जानकारी उपलब्ध कराएं।
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सेबी के नए दिशानिर्देश एक सितंबर से अमल में आएंगे। इसके बाइ कंपनियों को निवेशकों की शिकायतों का टालमटोल करना मुश्किल होगा। सेबी ने प्रतिनिधि सलाहकारों (प्रॉक्सी एडवाइजर) के लिए भी प्रक्रियात्मक दिशानिर्देश जारी किए। इसके तहत उन्हें मतदान की सिफारिश करने के संदर्भ में नीतियां बनानी होगी और उसमें किसी प्रकार की नई व्यवस्था के बारे में अपने ग्राहकों को जानकारी देनी होगी। प्रतिनिधि सलाहाकर यह सुनिश्चित करेंगे नीतियों में साल में कम-से-कम एक बार समीक्षा हो।