चार साल की बाघिन शर्मीली को 15 महीने बाद वन्य जंतु विशेषज्ञों ने तीस घंटे चले मेगा रेस्कू आपरेशन मे आख़िरकार शुक्रवार को पकड़ लिया । यह छठवें रेस्कू आपरेशन के अंतर्गत तीस घंटे चले मेगा रेस्कू आपरेशन था जो सफल रहा ।
उसे लखीमपुर खीरी के दुधवा नेशनल पार्क के किशनपुर सेंचुरी में भेजा जायेगा । 15 महीने पहले किशनपुर सेंचुरी से निकलकर बरेली की बंद पड़ी रबर फैक्ट्री में 11 मार्च 2020 को आ गयी थी।
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बरेली के मुख्य वन संरक्षक ललित वर्मा ने यहां कहा कि चार साल की बाघिन बहुत चतुर है। वह ऐसा आसरा प्रतिदिन बनाती थी कि 39 कैमरों को नजर न आये। पांच रेस्क्यू ऑपरेशन असफल होने के बाद आखिरकार वह जाल में घिर गई। इन ऑपरेशनों में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ देहरादून के विशेषज्ञों के अलावा कानपुर वन्य जीव प्राणी उद्यान के विशेषज्ञ, वन विभाग के लखनऊ मुख्यालय के विशेषज्ञ, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ दिल्ली , डब्लू टीआई दिल्ली, दुधवा नेशनल पार्क, पीलीभीत टाइगर रिजर्व, बरेली शाहजहांपुर बदायूं पीलीभीत से वन विभाग की टीमें रेस्कू ऑपरेशन में लगाई गई।
छठवां ऑपरेशन 15 दिन पहले शुरू हुआ 39 कैमरों के जरिए, 1400 एकड़ मे फैले बंद पड़ी रबड़ फैक्ट्री , उसकी निगरानी 24 घंटे की जा रही थी। गुरुवार को तड़के व चूना कोठी के पास खाली टैंक में बैठी देखी। बाघिन का ठिकाना जिस टेंक में था, उसकी परिधि 10 मीटर और ऊंचाई 25 फीट है।
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उस टैंक से बाहर निकलने का सिर्फ एक ही रास्ता है जैसे ही वह बाहर निकली, मुहाने पर लगाए गए , पिंजरे में कैद हो गई। शर्मीली की लंबाई 11 फीट और 150 किलो वजन है। श्री वर्मा ने बताया कि 24 घंटे से अधिक चले इस मेगा रेस्क्यू ऑपरेशन में विशेषज्ञों के अलावा 125 सदस्यों की टीम लगाई गई साथ में दो डॉक्टरों को भी लगाया गया। जब वह जाल में बंधे पड़े की पास नहीं आयी तो बाध्य हो कर टेंक काट कर ट्रेंकुलाइजर के जरिये ऐसे पकड़ा गया. इस प्रकार 30 घंटे में मेगा रेस्कू आपरेशन पूरा हुआ।