भतीजे अखिलेश यादव के साथ बरकरार तल्खी के बीच प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने पंचायत चुनाव के बहाने ‘यादव परिवार’ को एक सूत्र में बांधने की कवायद शुरू की है ।
पंचायत चुनाव के लिये प्रसपा की ओर जारी की उम्मीदवारों की सूची में शिवपाल के भतीजे अभिषेक यादव का नाम सैफई 2 से जिला पंचायत सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है। इससे पहले समाजवादी पार्टी (सपा) द्वारा जारी की गई सूची मे भी अभिषेक का नाम सैफई 2 से जिला पंचायत सदस्य उम्मीदवार के तौर पर है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ खड़े अभिषेक के पक्ष में शिवपाल का आना यादव परिवार को नजदीक से जानने वाले राजनीतिक पंडितों के लिये असमंजस का सबब बना हुआ है। कुछ लोगों का कहना है कि शिवपाल भतीजे अभिषेक को जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित करके पारिवार की सहानुभूति बटोरना चाहते है।
अपने निर्वाचन क्षेत्र जसवंतनगर मे प्रसपा की जिला पंचायत सदस्य उम्मीदवार श्रीमती सीमा यादव के समर्थन मे एक सभा को संबोधित कर शिवपाल कह चुके है कि वे चाहते है कि जिला पंचायत चुनाव में सपा और प्रसपा की एक हो जाये । उन्होने भतीजे एवं निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष अभिषेक यादव को फिर से जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने की अपील की।
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उन्होने कहा कि उनकी मंशा है कि सपा प्रसपा मिलकर जिला पंचायत चुनाव लड़े और यह नहीं चाहते है कि विरोधी पार्टी का कोई जिला पंचायत अध्यक्ष बने। शिवपाल कई बार अभिषेक यादव को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने की वकालत कर चुके हैं। वह यह भी कहने से नही चूकते कि जिला पंचायत चुनाव के बहाने ही सही, सभी परिवारिक एक जुट हो जाये यह बहुत अच्छा रहेगा लेकिन अगर किसी कारण भी सभी एक जुट नही हो सकेंगे तो उनका रास्ता अलग और सपा का रास्ता अलग होगा। ऐसा कहा जा रहा है कि शिवपाल ओर अभिषेक दोनों मिलकर पंचायत चुनाव लड़ रहे है जो कही ना कही फायदे का जरूर होगा ।
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दरअसल, 2019 के संसदीय चुनाव से पूर्व शिवपाल सिंह यादव ने सपा से अलग हुए बिना ही अपने दल प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का सृजन कर लिया और फिरोजाबाद संसदीय सीट पर समाजवादी पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार प्रो.रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव के खिलाफ चुनाव मैदान मे उतरने का फैसला करके हर किसी को हैरत मे डाल दिया। चुनाव प्रचार के दौरान शिवपाल अपने बेटे आदित्य यादव और पत्नी सरला के साथ वोट मांगते रहे जब कि सपा बसपा गठबंधन के सयुक्त प्रत्याशी अक्षय के लिए सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के अलावा सपा प्रमुख अखिलेश यादव वोट मांगने गये। कांटे की टक्कर मे शिवपाल की जमानत नही बच सकी जब कि करीब सवा तीन लाख वोट पाने के बावजूद भी अक्षय भाजपा उम्मीदवार के मुकाबले चुनाव हार गये ।
बाद में शिवपाल के खिलाफ सपा ने विधानसभा सदस्यता रद्द करने की प्रकिया शुरू की लेकिन पारिवारिक दबाब मे यह याचिका वापस ले गई जिसके बाद भी यह बात चल निकली की अगला विधानसभा चुनाव सपा प्रसपा एकजुट हो लड सकते है लेकिन बात आगे नही बढ पाती है ।