नई दिल्ली। महाभारतकालीन इतिहास के सबूत जुटाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने एक बड़ा फैसला लिया है। बागपत के सिनौली में 28.6 हेक्टेयर की जमीन को राष्ट्रीय महत्व का क्षेत्र घोषित कर दिया है। हालांकि किसान अपनी जमीन पर खेती करते रहेंगे, लेकिन इस जमीन पर निर्माण नहीं कर सकेंगे। गहरी खोदाई व अन्य कार्यों के लिए भी एएसआइ से अनुमति लेनी होगी। एएसआइ जब भी चाहेगा किसानों की फसल के लिए पैसे का भुगतान कर वहां पर खोदाई कर सकेगा। इसी के साथ इस राष्ट्रीय महत्व के क्षेत्र को कटीले तारों से घेरने के आदेश दीए गए हैं ताकि इस क्षेत्र की पहचान की जा सके। यह कार्य अगले छह महीने में पूरा किया जाना है, मगर कोरोना के चलते इस कार्य में कुछ औरा अधिक समय लग सकता है।
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इस क्षेत्र को राष्ट्रीय महत्व का क्षेत्र घोषित करने के पीछे एएसआइ का उद्देश्य है कि इस क्षेत्र की अभी तक हुई खोदाई में मिले साक्ष्यों को मजबूत आधार दिया जा सके। सिनौली में खोदाई के दौरान गत सालों में रथ, योद्धाओं की शव पेटिकाएं मिली हैं, वे इस ओर इशारा करती हैं कि यह शवाधान राजसी परिवार से संबंधित रहा होगा। इसे देखते हुए एएसआइ इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि यदि शवाधान मिला है तो इन लोगों की बस्ती भी आसपास ही रही होगी। इसी की एएसआइ खोज करना चाहता है। जहां पर खोदाई हुई है वह स्थान किसानों की निजी भूमि है। 6 जून को जारी की गई अधिसूचना के बारे में किसान 45 दिन तक अपनी राय व आपित्तयां मांगी गई थीं। आई हुईं आपत्तियों का अध्ययन किया जा रहा है। इसके बाद फाइनल अधिसूचना जारी की जाएगी।