सिंघाड़ा ( water chestnuts ) तालाबों में उगाया जाने वाला बहुत अच्छा फल है। सिंघाड़े का वानस्पतिक नाम ट्रापा नाटांस है। गले के रोग व टांसिल में सिघाड़े का उपयोग लाभदायक होता है। सिंघाड़ा शरीर को शक्ति प्रदान करता है और खून बढाता है। व्रत में सिंघाड़े के आटे की पूड़ियां और हलवा (Singhada Flour Pudding) भी खूब खाया जाता है। यह खनिज लवण और कार्बोहाइड्रेट के गुणों से भी भरपूर होता है। आयुर्वेद में भी सिंघाड़े को गुणों का खजाना बताया गया है। ऐसे कई फायदे हैं, सिंघाड़े के आटे से आइये जानते हैं उनके बारे में।
# सिंघाड़े के आटे का हलवा (Singhada Flour Pudding) देशी घी में बनाये। शुद्ध शहद मिलाकर रोजाना एक महीने तक खाना है। इस दरमियान खट्टी चीजे, अचार, आमचूर का परहेज करें। ऐसा करने से आपकी मर्दाना शक्ति कई गुणा बढ़ जाएगी। यह मर्दाना ताक़त बढाने की रामबाण औषिधि है। इससे आपकी मर्दाना ताक़त कई गुणा बढ़ जाएगी। नपुंसक व्यक्ति भी अपने आप को मर्द महसूस करेगा।
# जो लोग अस्थमा के रोगी हैं उनके लिए सिंघाड़ा वरदान से कम नहीं है। अस्थमा के रोगीयों को 1 चम्मच सिंघाड़े के आटे को ठंडे पानी में मिलाकर सेवन करना चाहिए। एैसा नियमित करने से अस्थमा रोग में लाभ मिलता है।
# जिन्हें बवासीर की समस्या है सिंघाड़ा उनके लिए भी फायदेमंद है। बवासीर की दिक्कत होने पर कच्चा सिंघाड़ा नियमित खाने से परेशानी दूर होगी। कच्चे सिंघाड़े का सीजन न होने पर आटे की रोटियां भी खाई जा सकती हैं।
# वे महिलाएं जिनका गर्भाशय कमजोर हो वे सिंघाड़े का या सिंघाडे़ के आटे का हलवा (Singhada Flour Pudding)का सेवन नियमित करती रहें, लाभ मिलेगा।
# गले में इन्फेक्शन होने पर सिंघाड़े का आटा दूध में मिलाकर पिएं, तुरंत राहत मिलेगी। घेघा सिंघाड़े में आयोडीन की पर्याप्त मात्रा होने की वजह से यह घेघा रोग में भी फायदेमंद है। आंखों की रोशनी के लिए सिंघाड़े में विटमिन ए प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके सेवन से आखों की रोशनी बढ़ती है।
# प्रसव होने के बाद महिलाओं में कमजोरी आ जाती है। इस कमजोरी को दूर करने के लिए महिलाओं को सिंघाड़े का हलवा खाना चाहिए यह शरीर में होने वाली कमजोरी को दूर करता है।