पुलिस की घेराबंदी में आए भाकपा माओवादी नक्सली संगठन के ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो के सचिव और एक करोड़ के इनामी प्रशांत बोस समेत छह को रविवार को मेडिकल जांच के बाद सरायकेला कोर्ट में पेश किया गया, जहां से न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। इनमें प्रशांस बोस की पत्नी शीला मरांडी, वीरेंद्र हांसदा, राजू टुडू, कृष्णा बाहदा एवं गुरुचरण बोदरा शामिल है। पुलिस अब सबों को रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है, ताकि महत्वपूर्ण खुलासे हो सकें।
डीजीपी नीरज सिन्हा ने रविवार को प्रशांत बोस की गिरफ्तारी को ऐतिहासिक बताया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए डीजीपी नीरज सिन्हा ने कहा कि प्रशांत बोस की गिरफ्तारी ऐतिहासिक है पिछले 20 साल में माओवादियों को सबसे बड़ा झटका लगा है। इस रैंक में न कोई पकड़ा गया था न मारा गया था। डीजीपी ने बताया कि
झारखण्ड पुलिस एवं इंटेलिजेन्स एजेन्सीज को सूचना प्राप्त हुई कि पारसनाथ पहाड़ी क्षेत्र से कुछ महत्वपूर्ण व्यक्ति एक गाड़ी से चाईबासा जिला के कोल्हान क्षेत्र की ओर निकले है। जिनकी गतिविधि संदिग्ध प्रतीत हो रही है। लागातार सूचना प्राप्त हो रही थी कि कोल्हान क्षेत्र में सीपीआई नक्सली संगठन के शीर्ष नेताओं का जमावाड़ा लगा हुआ है। भाकपा माओवादी संगठन के शीर्ष नेताओं का महत्वपूर्ण कोआर्डिनेशन कमेटी की बैठक आयोजित किया गया है। जिसमें शामिल होने के लिए कई सारे शीर्ष नेता कोल्हान पहुंचने के लिए निकले हुए है। इस सूचना के बाद सत्यापन करने के लिये झारखंड पुलिस द्वारा एक विस्तृत रणनीति बनाई गई।
जिसके बाद झारखण्ड पुलिस और सीआरपीएफ बलों के द्वारा धनबाद, बोकारो, रांची, जमशेदपूर, सरायकेला, चाईबासा के क्षेत्रों में सर्च एवं चेकिंग अभियान चलाया जा रहा था। सभी संभावित रास्तों पर झारखंड पुलिस एवं सीआरपीएफ बलों के द्वारा नाके लगाए गए थे। इस विशेष अभियान के क्रम में सरायकेला जिला के कांड्रा थाना अंतर्गत गिद्दीबेड़ा टोल प्लाजा के पास चेकिंग के दौरान संदेहास्पद गतिविधि के आधार पर एक स्कॉर्पियों गाड़ी को रोका गया । इसमें चालक सहित छह व्यक्ति सवार थे। छानबीन एवं पूछताछ के दौरान उपरोक्त व्यक्तियों की गतिविधि संदेहास्पद प्रतीत होने के कारण इन्हें अग्रेतर सत्यापन के लिए तत्काल राँची स्थित ज्वांइट इंन्ट्रोगेशन सेंटर लाया गया तथा उनसे गहन पूछताछ की गई।
उनके द्वारा बताए गए नाम पता का सत्यापन किया गया सत्यापन के क्रम में उनके द्वारा बताए गए नाम-पता गलत पाया गया। सत्यापन के क्रम में यह स्पष्ट हुआ कि संदिग्ध व्यक्तियों में एक प्रशांत बोस उर्फ किशन दा उर्फ मनीष उर्फ बुढ़ा और दूसरा उनकी पत्नी शीला मराण्डी उर्फ शीला दी है, जो कि माकपा (माओवादी) संगठन में क्रमशः पोलित ब्यूरो सदस्य एवं केन्द्रीय कमिटी सदस्य हैं। प्रशांत बोस उर्फ किशन दा उर्फ मनीष उर्फ बुढा पर झारखण्ड सरकार द्वारा इनकी गिरफ्तारी के लिए एक करोड़ रूपये का ईनाम घोषित है। शेष अन्य चारों भी माकपा (माओवादी) संगठन से सक्रिय रूप से जुड़े हुए है। गिरफ्तार नक्सलियों में प्रशांत बोस उर्फ किशन दा उर्फ मनीष उर्फ बुढा, शीला मराण्डी उर्फ शीला दी, बिरेन्द्र हांसदा उर्फ जितेन्द्र, राजू टुडू उर्फ निखिल उर्फ बाजु, कृष्णा बाहदा उर्फ हेवेन और गुरूचरण बोदरा शामिल है।
डीजीपी ने बताया कि झारखंड पुलिस ने प्रशांत बोस और उनकी पत्नी शीला मरांडी के पास से 4 मोबाइल, दो एसएसडी एक पेन ड्राइव 1.51 लाख रूपया बरामद किया है। प्रशांत बोस के पास से बरामद हुए पेन ड्राइव और एसएसडी में नक्सली संगठन के कई दस्तावेज हैं, जो सरकार के खिलाफ और नक्सली संगठन के समर्थन में प्रचार संगठन के पत्र और अन्य दस्तावेज की सॉफ्ट कॉपी है। प्रशांत बोस के खिलाफ झारखंड के रांची खूंटी,गुमला,चाईबासा, सरायकेला, जमशेदपुर हजारीबाग, बोकारो और चक्रधरपुर रेल में 50 मामले दर्ज हैं।
इसके अलावा प्रशांत बोस के खिलाफ बिहार, बंगाल और उड़ीसा में कई मामले दर्ज हैं जिसे निकाला जा रहा है। प्रशांत बोस की पत्नी शीला मरांडी के ऊपर गिरिडीह और चाईबासा जिले के अलग-अलग थाना क्षेत्र में कुल 18 मामले दर्ज हैं। इसके अलावा पकड़े गए चार अन्य नक्सलियों के खिलाफ कई जिले और राज्यों में कई मामले दर्ज हैं जिसके बारे में पता लगाया जा रहा है।
प्रशांत बोस 45 सालों से लगातार कर रहे हैं भाकपा माओवादी के लिये काम
प्रशांत बोस 60 के दशक में पढ़ाई के दौरान कोलकाता में नक्सली संगठन के मजदूर यूनियन संगठन से जुड़े थे। जिससे प्रभावित होकर यह संगठन के लिए पूर्ण समर्पण से काम करने लगे एमसीसीआई के संस्थापक में से एक कन्हाई चटर्जी के साथ यह गिरिडीह ,धनबाद बोकारो और हजारीबाग के इलाके में स्थानीय जमीदारी प्रथा और महाजनों के द्वारा जनता के शोषण और प्रताड़ना के खिलाफ संथाली नेताओं के द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन के समर्थन में एमसीसीआई के बैनर तले आंदोलन को मुखर करने के लिए यह लोग इस इलाके में आए।
इस दौरान रतीलाल मुर्मू के साथ मिलकर धनबाद गिरिडीह और हजारीबाग के क्षेत्रों में स्थानीय जमींदारों के द्वारा गठित सनलाइट सेना और महाजनों के खिलाफ एमसीसीआई के बैनर तले साल 2008 तक आंदोलन करते रहे। इस क्षेत्र के अलावा जमींदारों के द्वारा गठित बिहार के जहानाबाद, भोजपुर और गया के इलाके में सक्रिय रणवीर सेना और पुलिस के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए झारखंड के पलामू चतरा ,गुमला, लोहरदगा संथाल परगना और कोल्हान के क्षेत्र में भाकपा माओवादी संगठन को मजबूत किए। इस दौरान बिहार, झारखंड ,बंगाल और उड़ीसा राज्य में कई बड़ी नक्सली घटनाओं को अंजाम दिया।
1974 में हुए थे गिरफ्तार
साल 1974 में पुलिस द्वारा प्रशांत बोस को गिरफ्तार कर हजारीबाग जेल भेजा गया। साल 1978 में जेल से निकलने के बाद प्रशांत बोस दोबारा भाकपा माओवादी संगठन में शामिल हो गए। पिछले 45 सालों से संगठन के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं। साल 2004 में भाकपा माओवादी संगठन गठन होने के बाद प्रशांत बोस को केंद्रीय कमेटी सदस्य, पोलितब्यूरो सदस्य, केंद्रीय मिलिट्री कमीशन सदस्य और ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो के प्रभारी बनाए गए। दक्षिणी छोटानागपुर क्षेत्र के सारंडा में रहकर संगठन के कई शीर्ष नेताओं और दस्ता सदस्यों के साथ मिलकर झारखंड, बिहार, उड़ीसा, बंगाल राज्य में भाकपा माओवादी संगठन को विस्तारित करते हुए कई बड़ी घटनाओं का अंजाम दिए। प्रशांत बोस झारखंड बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्र में रहकर कई नक्सली घटनाओं को अंजाम दिया। जिनमें सांसद सुनील महतो का हत्या भी शामिल है। प्रशांत बोस नक्सली संगठन के ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो के सचिव और थिंक टैंक के रूप में काम कर रहे थे इनके ऊपर झारखंड सरकार द्वारा एक करोड़ का इनाम घोषित किया गया था ।