लाइफस्टाइल डेस्क। प्रदूषण न सिर्फ हमारे फेफड़ों बल्कि दिल, किडनी और आंखों के साथ त्वचा पर ख़राब असर डालता है। आपने अपने साइंस क्लासेस में ये ज़रूर पढ़ा होगा कि त्वचा हमारे शरीर का सबसे बड़ा अंग है और पर्यावरण के संपर्क सबसे पहले त्वचा का होता है। फिर चाहे आप सारा वक्त घर के अंदर ही क्यों न रहें, आपका पर्यावरण से लगातार संपर्क रहता है।
यही वजह है कि अब त्वचा विशेषज्ञों के लिए प्रदूषण एक नई समस्या बन गया है। यूवी किरणों से लेकर ब्लू लाइट और प्रदूषण तक, ये सभी वह बड़े फैक्टर हैं जो त्वचा को ऑक्सीडेटिव नुकसान पहुंचाते हैं। जिसकी वजह से त्वचा के कोलेजन को भी नुकसान पहुंचता है।
स्किन स्पेशलिस्ट का कहना है कि त्योहारों के सीज़न में प्रदूषण एक बड़ी चिंता बन जाता है। एक उच्च स्तर का कण है जो त्वचा की जैविक संरचना और सतह पर अत्यधिक प्रभाव डालता है। इस प्रदूषण की धूल आपकी त्वचा के काफी अंदर तक जा सकती है जिसकी वजह से समय से पहले त्वचा बूढ़ी होने लगती है। प्रदूषण की वजह से त्वचा का सांस लेना मुश्किल हो जाता है और नतीजतन उस पर ड्राइ पैच, स्पॉट्स, एक्ज़ेमा, एक्ने के साथ ही मुर्झाई और थकी हुई लगने लगती है।
अल्ट्रा वायलेट यानि यूवी किरणें त्वचा के लिए सबसे बड़ा खतरा होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार यूवी किरणों से त्वचा पर काफी खराब असर पड़ता है। सूरज की किरणों के अलावा कम्पयूटर और हमारे मोबाइल से निकलती ब्लू लाइट भी त्वचा को नुकसान पहुंचाती है। एक रिसर्च के अनुसार ब्लू लाइट लंबे समय में आपकी त्वचा को वक्त से पहले बूढ़ा बना देती हैं।
अब आप इसी में दिवाली के बाद होने वाला स्मॉग भी मिला दें। प्रदूषण, यूवी किरणे और ब्लू लाइट के साथ कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और लेड का भी आपकी त्वचा पर आक्रमण शुरू हो जाता है।