गोरखपुर। गोरखपुर जिले की बेटी स्निग्धा को लाइलाज बीमारी मेजर थैलेसीमिया जूझ रही है। इसके बाद स्निग्धा ने जिंदगी व मौत से आंखमिचैली खेलते हुए उन्होंने नेट पास कर प्रोफेसर बनने का सपना पूरा करने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ा दिया है। स्निग्धा बचपन से ही अपने हौसलों की वजह से वह जीवन की राह आसान कर रही हैं।
शहर के जेल बाईपास रोड की रहने वाली स्निग्धा न केवल बेटियों, बल्कि बड़ों के लिए भी मिसाल हैं। ढाई महीने की उम्र से ही वह मेजर थैलेसीमिया से ग्रसित हैं। इस बीमारी में हर पल जान का खतरा बना रहता है।
लाइलाज और जानलेवा बीमारी भी स्निग्धा के सपनों को ग्रसित नहीं कर सकी। अच्छे नंबरों से बेसिक और स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद स्निग्धा ने नेट भी पास कर लिया है। अब वे जेआरएफ (जूनियर रिसर्च फैलोशिप) की तैयारी में जुटी हैं।
स्निग्धा को हर 15 दिनों में दो यूनिट ब्लड की जरूरत
एलआईसी एजेंट सनत चटर्जी की पुत्री स्निग्धा को हर 15 दिनों में दो यूनिट ब्लड की जरूरत होती है। ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए महीने में दो बार उन्हें लखनऊ जाना पड़ता है। इसमें दो दिन की भी देरी हो जाए तो सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। बावजूद इसके स्निग्धा न कभी डरीं और न उनका हौसला डगमगाया। उनका सपना प्रोफेसर बनने का है।
सनत चटर्जी बताते हैं कि उनकी बेटी जब ढाई महीने की हुई, तब जांच के दौरान पता चला कि वह मेजर थैलेसीमिया से ग्रसित है। महीने में दो से तीन बार ब्लड का ट्रांसफ्यूजन कराना ही पड़ेगा। साल में करीब 25 बार ट्रांसफ्यूजन से बेटी के हाथों की नसें सूखने लगीं। दर्द भी बहुत होता था, लेकिन स्निग्धा ने हार नहीं मानी। वह रोज स्कूल तो जाती ही थी और पूरा समय पढ़ाई पर देती थी।