• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

सोशल मीडिया सही गलत का चयन नहीं करती

Writer D by Writer D
09/12/2020
in Main Slider, ख़ास खबर, राष्ट्रीय, विचार
0
Social Media

Social Media

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

मनोहर मनोज

पहले तो हम यह बात मान लें कि मीडिया जिस भी स्वरूप में हो आधुनिक समाजों और लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था की एक अपरिहार्य जरूरत है। एक ऐसी जरूरत जो एक तरफ समाज की मूलभूत आवश्यकताओं की श्रेणी में शामिल है तो दूसरी तरफ लोकतंत्र के चारों खंभों में अकेला खंभा है, जो संवैधानिक न होते हुए भी सबसे ज्यादा तात्कालिक महत्व की पात्रता रखता है। लेकिन मीडिया की कई सीमाएं और शर्तें हैं। मीडिया की ये सीमाएं और विशिष्टाएं कहीं न कहीं लोकतंत्र के बाकी तीन खंभों से उलट इसे संवैधानिक दर्जा न होने की वजह से हैं।

समकालीन परिस्थितियों के बीच सोशल मीडिया एक बड़ी परिघटना के रूप में उभरकर आयी है। तकनीक ने इसे सर्वसुलभ बना दिया है। इन दिनों सोशल मीडिया का औपचारिक मीडिया के स्थानापन्न रूप में, सूचना और पब्लिसिटी, दोनो स्तरों पर ही उपयोग हो रहा है। अब सवाल ये है कि क्या सोशल मीडिया का चलन और प्रसार सचमुच स्वागत योग्य है? क्या यह समाज, देश और लोकतंत्र के व्यापक सरोकारों, विचारों, दशाओं और दिशाओं को प्रतिबिंबित करने की पात्रता रखती है? क्या इसे नये नियमन और दिशा निर्देशों से परिचालित किये जाने की भी जरूरत है?

खुदाई के दौरान भुरभुरी बालू मिलने से राम मंदिर की नींव का निर्माण कार्य रुका

इन सारे सवालों का उत्तर ये है कि सोशल मीडिया के आगमन ने मीडिया का निःसंदेह जबरदस्त लोकतंत्रीकरण किया है, इसने सभी लोगों को अभिव्यक्ति का मंच दिया है। इसने औपचारिक और परंपरागत मीडिया में स्थापित कौकस यानी चंद लोगों के वर्चस्व को चुनौती दी है। सोशल मीडिया ने बहुत हद तक सिटिजन जर्नलिस्ट यानी नागरिक पत्रकार की अवधारणा को पुष्ट किया है। लेकिन सवाल ये है क्या सोशल मीडिया के कारण हुआ मीडिया का लोकतंत्रीकरण और औपचारिक मीडिया का अवमूल्यन, आमजन के लिए कोई बेहतर स्थिति बना सका है? इस प्रश्न का जबाब है बिल्कुल नहीं।

सोशल मीडिया ने देश की हर नागरिक को अभिव्यक्ति का सुनिश्चित मंच प्रदान किया है, किंतु यह आम जन देश, समाज और लोकतंत्र को समुचित दिशा नहीं दे सकता। सोशल मीडिया जनसमस्याओं की अभिव्यक्ति का एक शानदार उपकरण जरूर हो सकता है और इसका यदि इस रूप में वैधानिक तरीके से उपयोग किया जाए तो इससे अच्छी बात कोई और नहीं हो सकती। लेकिन सोशल मीडिया देश में सुधी जनमत का निर्माण नहीं कर सकता। सोशल मीडिया का अभी जो वर्तमान स्वरूप है वह तो यही दर्शाता है कि इसमे बहुसंख्यक भागीदार लोग राजनीतिक गुटों की वैचारिक मार्केटिंग करते हैं।

बंगाल के पूर्व सीएम बुद्धदेव भट्टाचार्य की हालत नाजुक, अस्पताल में भर्ती

इसमें भागीदार बहुसंख्यक लोगों के पास न तो अपनी बौद्धिक विचारधारा और समझ है और न ही इस मंच पर स्वतंत्र सुझाव और विमर्श की अभी तक कोई परिपाटी नयी शुरू हो सकी है। औपचारिक मीडिया का इतिहास इस मामले में बिल्कुल अलग रहा है, वह समाज और देश में एक स्वस्थ, निष्पक्ष और औचित्यपरक जनमत के निर्माण का वाहक रहा है। ये बात अलग है कि आज की तारीख में औपचारिक मीडिया, खासकर टीवी मीडिया अब उसी सोशल मीडिया के दबाव में कहीं न कहीं गुट विशेष को तरजीह देने वाले मीडिया में परिवर्तित होता जा रहा है।

यह कई बार दिखा है कि सोशल मीडिया एक हरकारे की आवाज पर अपना मत निर्मित कर लेती है, ध्रुवीकृत होती है, सही व गलत का चयन नहीं करती है, भावुकता और पहचान के सवालों के प्रभाव में ज्यादा आती है। जिसमें समर्थन और विरोध की ध्वनि मैनेज की हुई दिखती है। कहना न होगा सोशल मीडिया ने इस लोकतंत्र में राजनीतिकों के प्रभुत्व को स्वतंत्र विचारकों और दिशा प्रदानकर्ताओं पर भारी बनाकर उनको अपनी छवि बनाने और अपने प्रतिद्वंदी का बिगाड़ने का एक अनुचित अवसर भी प्रदान किया है। सोशल मीडिया के सबसे ज्यादा चलंत मंच फेसबुक, ट्वीटर, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम इन चारों का तात्विक विश्लेषण किया जाए तो फेसबुक में तो जैसा नाम से जाहिर है कि यह लोगों को अपने मित्रों व सगे संबंधियों से संवाद और तस्वीरों से जोडने का काम प्रमुख रूप से करता है।

RBI ने एक और बैंक का किया लाइसेंस रद्द, कहीं ये आपका बैंक तो नहीं?

इसके जरिये बेहतर सामाजिक संदेश, विचार और जनमत निर्माण का कार्य कम, जबकि भड़काऊं, उकसाऊं, पक्षपात, तंज और यहां तक कि गाली गलौज की भाषा और कुल मिलाकर ध्रुवीकृत राय मशविरे का ज्यादा प्रदर्शन होता है। ट्विटर कहने के लिए सोशल मीडिया का एक प्रमुख और विश्वव्यापी माध्यम है परंतु इसे यदि सोशल मीडिया के बजाए सेलेब्रिटी मीडिया कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा। इस मंच पर नामचीन सेलेब्रिटी और अभिजात अथाॅरिटी अपनी विचारों की धुन बजाते हैं और इनके फॉलोअर उस धुन पर थिरकते हैं, जय-जयकार करते हैं। ठीक है कि ये फालोअर भी अपने विचार व्यक्त करते हंै पर अंततः यहां हर समय वही उभर रहा होता है, जिसे लोग फाॅलो करते हैं।

जैसा कि हमने पहले कहा कि सोशल मीडिया मौजूदा शासन और प्रशासन के लिए नागरिक समस्याओं को जानने और उसका हल करने के लिए एक बेहतरीन माध्यम बन सकता है। ऐसे कई वाक्य हुए जब ट्विटर पर अपने फालोअी मंत्री व अधिकारी के समक्ष कई लोगों ने अपनी समस्याएं रखी और उसका समाधान हो गया। इन घटनाओं की औपचारिक मीडिया में भी चर्चा हुई और संबंधित मंत्री और अधिकारी को इस कदम के तहत पब्लिसिटी और तारीफें मिली और उनकी छवि चमकी। परंतु ये सभी मामले इक्का दुक्का थे। क्या इस सोशल मीडिया को नागरिक समस्याओं के मंच के रूप में एक व्यापक वैधानिक और सांस्थानिक स्वरूप नहीं प्रदान किया जा सकता? यदि इसे ऐसा कर दिया जाए तो लोकतंत्र के हित में एक बहुत बड़ा कदम होगा तो दूसरी तरफ गुड गवर्नेंस की एक बेहतर संस्कृति विकसित करने में काफी मददगार।

किसानों से छल-कपट कर उन्हें तबाही की ओर धकेला जा रहा है: सचिन पायलट

व्हाट्सएप की बात करें तो यह एक ऐसा सोशल मीडिया है जो आपस के संपर्कियों के बीच बनते बनते एक बड़ा नेटवर्क का रूप ले लेता है। इस सोशल मीडिया के माध्यम के जरिये कई बार भ्रामक तो कई बार गुटबाजी तो कई बार राजनीतिक व सांगठनिक ताकतों के जरिये कोई मुहिम नियंत्रित व निर्देशित होती हुई दिखती है। इंस्टाग्राम की बात करें तो यह भी ट्विटर की तरह सेलिब्रिटी और एलीट वर्ग के लोगों द्वारा अपने असंख्य अनुयायियों और चाहने वालों के समक्ष अपनी लोकप्रियता दिखाने का माध्यम है। कुल मिलाकर सोशल मीडिया ने अभिव्यक्ति के मंच के साथ एक सूचना अर्थशास्त्र का भी एक नया स्वरूप निर्मित किया है।

इसका अविर्भाव हमारी आधुनिक जीवनशैली की अनिवार्यता के रूप में स्थापित और इसके सूचना साम्राज्य के एक बड़े फलक के रूप में समाहित हुई है। परंतु सबसे बड़ा सवाल यही है कि औपचारिक मीडिया के संस्थागत अस्तित्व को समाप्त कर जो लोग केवल सोशल मीडिया की तामीर और तस्वीर जारी रखने की पक्षधरता कर रहे हैं दरअसल वे लोकतंत्र को खिलवाड़तंत्र बनाने पर आमादा हैं। जिस तरह से लोकतंत्र में विधायिका कार्यपालिका और न्यायपालिका का एक सांस्थानिक अस्तित्व है जो अस्तित्व किसी नये तकनीक के चलन और नये ट्रेंड से प्रभावित नहीं होता, उसी तरह से लोकतंत्र की व्यापक बेहतरी और समाज को एक व्यापक रोशनी देने की खातिर औपचारिक मीडिया अखबार रेडियो टीवी और वेबसाइट का बना रहना भी जरूरी है।

Tags: 24ghante online.comFACEBOOKNational newssocial mediatwitter
Previous Post

खुदाई के दौरान भुरभुरी बालू मिलने से राम मंदिर की नींव का निर्माण कार्य रुका

Next Post

25 सालों से अपने ही देश में शरणार्थी हैं ब्रू आदिवासी हाइला

Writer D

Writer D

Related Posts

CM Yogi
Main Slider

सालार मसूद को ऐसी सजा हुई, जो इस्लाम के अनुसार जहन्नुम में जाने की गारंटी देता हैः योगी

10/06/2025
DM Savin Basnal
राजनीति

डीएम जन दर्शन यानि न्याय, शिक्षा, रोजगार की गांरटी

10/06/2025
CM Yogi
Main Slider

ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से सबने देखी पाकिस्तान में टेस्टेड और दुनिया के द्वारा ट्रस्टेड भारत की सैन्य ताकत: सीएम योगी

10/06/2025
Robert Vadra
राजनीति

रॉबर्ट वाड्रा नहीं पहुंचे ED दफ्तर, हरियाणा जमीन घोटाले मामले में होनी है पूछताछ

10/06/2025
Former CM Atishi in police custody
Main Slider

पूर्व CM आतिशी को पुलिस ने लिया हिरासत में, जानें पूरा मामला

10/06/2025
Next Post
Bru Tribal Refugees

25 सालों से अपने ही देश में शरणार्थी हैं ब्रू आदिवासी हाइला

यह भी पढ़ें

Budh Dev

तुला राशि में बुध ने किया प्रवेश, इन राशियों को होगा आर्थिक लाभ

28/10/2022
Kidnap

पड़ोसी को फंसाने के लिए पुलिस को दी बच्चों के अपहरण की सूचना

07/04/2022
Arrested

प्रोफेसर से 35 लाख रुपये ठगने वाला गिरफ्तार

11/12/2022
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version