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पुण्यतिथि पर विशेष : महात्मा गांधी को जानें किसने दी ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि?

Desk by Desk
30/01/2021
in Main Slider, ख़ास खबर, नई दिल्ली, राजनीति, राष्ट्रीय
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'राष्ट्रपिता' की उपाधि?

'राष्ट्रपिता' की उपाधि?

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नई दिल्ली । राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पूरी दुनिया में मनाए जानें की खबरें आ रही है। आज ही के दिन यानी 30 जनवरी 1948 में राष्ट्रपिता की गोली मारकर नाथूराम गोडसे ने हत्या कर दी थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर आज हम उनके जीवन से जुड़ी कुछ अहम बातें आपको बताने जा रहे हैं।

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के शहर पोरबंदर में हुआ था। उनके माता-पिता ने उनका नाम मोहनदास करमचंद गांधी रखा था। उनके जन्म के 5 साल बाद उनका परिवार पोरबंदर से राजकोट आ कर बस गया। महात्मा गांधी पढ़ाई में औसत थे। वे काफी शर्मीले और कम बोलने वाले बच्चों में से थे। उन्हें खेलों में भी दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन उन्हें किताबें पढ़ने का काफी शौक था।

महात्मा गांधी उस समय सिर्फ 13 साल के थे, जब उनकी शादी कस्तूरबा माखनजी कपाडिया से हो गई। जब महात्मा गांधी 16 साल और उनकी पत्नी 17 साल की थीं, उस समय उनके पहले बच्चे का जन्म हुआ, लेकिन जन्म के कुछ समय बाद ही किसी वजह से बच्चे की मौत हो गई। इस दुर्घटना से गांधीजी काफी दुखी हो गए थे।

इसके बाद दोनों के 4 और बेटे हुए। उनके सबसे बड़े बेटे का नाम था हरिलाल जिनका जन्म 1888 में हआ था। उनके दूसरे बेटे का नाम मणीलाल था जिनका जन्म 1892 में हुआ, तीसरे बेटे रामदास का जन्म 1897 और सबसे छोटे बेटे देवदास का जन्म 1900 में हुआ। नवंबर 1887 को 18 साल की उम्र में महात्मा गांधी ने इलाहाबाद से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। जनवरी 1888 में उन्होंने भावनगर के सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया।

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उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने कॉलेज में दाखिला लिया, लेकिन गरीब परिवार से आने के चलते और फीस अफोर्ड नहीं कर पाने की वजह से उन्हें कॉलेज की पढ़ाई अधूरी छोड़नी पड़ी। जब गांधी ने कॉलेज छोड़ा तब उनके परिवारिक मित्र मावजी दवे जोशीजी ने उन्हें और उनके परिवार को सलाह दी कि उन्हें लंदन जाकर लॉ की पढ़ाई करनी चाहिए, लेकिन इसी साल उनके बेटे हीरालाल का जन्म हुआ। इसलिए उनकी मां नहीं चाहती थीं कि वे अपने परिवार को छोड़कर दूसरे देश जाएं।

वहीं, गांधी चाहते थे कि वे अपनी पढ़ाई पूरी करें इसलिए अपनी पत्नी और मां को राजी करने के लिए उन्होंने कहा कि वे विदेश जाकर मांस, शराब और औरतों से बिल्कुल दूर रहेंगे। गांधी के भाई लक्ष्मीदास, जो कि खुद भी पेशे से वकील थे उन्होंने गांधी का साथ दिया जिसके बाद उनकी मां पुतलीबाई उन्हें भेजने के लिए राजी हो गईं। 7 जून, 1893 को ही महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा का पहली बार इस्तेमाल किया था। 1893 में गांधीजी एक साल के कॉन्ट्रैक्ट पर वकालत करने दक्षिण अफ्रीका गए थे। वह उन दिनों दक्षिण अफ्रीका के नटाल प्रांत में रहते थे।

गांधी ने साउथ अफ्रीका के डर्बन, प्रिटोरिया और जोहानसबर्ग में कुल तीन फुटबॉल क्लब स्थापित करने में मदद की थी। महात्मा गांधी ने अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाई, साथ ही संदेश दिया कि अहिंसा सर्वोपरि है। महात्मा गांधी को सुभाष चंद्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को रेडियो रंगून से ‘राष्ट्रपिता’ कहकर संबोधित किया था।

मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 की शाम को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में गोली मारकर की गयी थी। वे रोज शाम को प्रार्थना किया करते थे। 30 जनवरी 1948 की शाम को जब वे सांध्यकालीन प्रार्थना के लिए जा रहे थे तभी नाथूराम गोडसे ने पहले उनके पैर छुए और फिर सामने से उन पर बैरेटा पिस्तौल से तीन गोलियां दाग दीं। महात्मा गांधी की शवयात्रा 8 किलोमीटर लंबी थी। कहा जाता है कि उनकी शव यात्रा में करीब 10 लाख लोग चलते रहे थे और लगभग 15 लाख लोग रास्ते में खड़े थे।

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