Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

राज्य सरकारें इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल का करें विरोध : दुबे

shailendra dubey

shailendra dubey

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भेजकर विद्युत संशोधन विधेयक का विरोध करने की मांग की है।

फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने मंगलवार को कहा कि इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2021 को संसद के मौजूदा सत्र में पारित कराने के लिये केंद्रीय ऊर्जा मंत्री 17 फरवरी को सभी राज्यों के ऊर्जा सचिवों और विद्युत वितरण कंपनियों के सीएमडी से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बैठक करेंगे जिसको ध्यान में रख कर फेडरेशन ने सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर बिल का विरोध करने की मांग की है।

उन्होने कहा कि सभी स्टेकहोल्डरों को विश्वास मे लिए बिना इसे संसद में न रखा जाए और दूरगामी परिणाम देने वाले इस बिल को रोकने के लिए सभी सरकारें 17 फरवरी की बैठक में दिखाई जाने वाली जल्दबाजी के चलते इसका विरोध करें।

दरोगा पर जमीन कब्जा कराने का आरोप, पीड़िता ने सीएम समेत पुलिस कमिशनर से की शिकायत

श्री दुबे ने कहा कि पत्र की प्रतिलिपि सभी प्रांतों के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव ऊर्जा और ऊर्जा निगमों के सीएमडी को दी गई है। पत्र में इस बात पर विरोध दर्ज किया है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है और न ही इस बिल पर स्टेकहोल्डर खासकर बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों व इंजीनियरों की राय मांगी गई है। ऐसे में गुपचुप केवल राज्यों के प्रमुख सचिव ऊर्जा और बिजली कंपनियों के सीएमडी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर इस बिल के मसौदे को अंतिम रूप देने की कवायद की जा रही है जो आपत्तिजनक है।

उन्होने कहा कि सभी राज्यों के प्रमुख सचिव व सीएमडी आईएएस अधिकारी हैं ऐसे में बहुत महत्व के इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल के तकनीकी पहलुओं पर कोई विचार-विमर्श नहीं हो पाएगा और उपभोक्ताओं व कर्मचारियों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर इनकी राय भी नहीं मिल पाएगी।

फांसी लगाकर राजगीर ने समाप्त कर ली अपनी जीवनलीला, जांच में जुटी पुलिस

कर्मचारी नेता ने कहा कि बिल में एक क्षेत्र में एक से अधिक निजी क्षेत्र की विद्युत वितरण कंपनियों को बिजली आपूर्ति की अनुमति देने का प्रावधान है तथा विद्युत आपूर्ति के लिए लाइसेंस समाप्त कर दिया जाएगा। नई आने वाली सभी निजी कंपनियां मौजूदा विद्युत वितरण निगम के बिजली नेटवर्क का प्रयोग करेगी और नेटवर्क के निर्माण व मेंटेनेंस पर बिना कोई पैसा खर्च किए मुनाफा कमाएंगे। साथ ही नई कंपनियों को सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं को बिजली देने की कोई बाध्यता नहीं होगी। परिणाम स्वरूप निजी कंपनियां केवल औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को ही बिजली देगी। इस प्रकार सरकारी विद्युत वितरण निगम से मुनाफे वाले औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ता निकल जाएंगे और सरकारी विद्युत वितरण कंपनियां और ज्यादा घाटे में चली जाएंगी। इसका परिणाम यह होगा कि सरकारी कंपनियों के पास बिजली खरीद के लिए भी पैसा नहीं होगा जिसका सीधा खामियाजा किसानों और गरीब उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ेगा।

Exit mobile version