उत्तर प्रदेश में मथुरा के जिला अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम अनिल कुमार पाण्डे ने एसटीएफ की उस दलील को खारिज कर दिया है जिसमें चार्जशीट दाखिल हो जाने के बाद उसने अदालत से अभियुक्त सिद्दीक कप्पन से दुबारा पूछताछ करने की इजाजत एक प्रार्थनापत्र के माध्यम से की थी।
अभियोजन की ओर से (एसटीएफ द्वारा) एक प्रार्थनापत्र 18क के तहत अदालत में पेश कर कहा गया था कि अभियुक्त सिद्दीक कप्पन के दिल्ली स्थित आवास पर 11 नवम्बर 2020 को जब छापा मारा गया था और तलाशी के दौरान बरामद बुकलेट में प्रतिबंधित संगठन सिम्मी का साहित्य बरामद हुआ था। बरामद साहित्य में हस्तलेख के मिलान के लिए 8 मार्च को दस्तावेज एवं अभियुक्त कप्पन का नमूना लेख विधि विज्ञान प्रयोगशाला आगरा भेजा गया था जिसकी रिपोर्ट दो जून को प्राप्त हुई है।
रिपोर्ट में लेख का मिलान नही हुआ है। चूंकि साहित्य कप्पन के कमरे से बरामद हुआ है इसलिए प्रतिबंधित संगठन सिम्मी के दस्तावेज के संबंध में अभियुक्त सिद्दीक कप्पन से पूछतांछ किया जाना आवश्यक है।कप्पन से पूछतांछ के संबंन्ध में अनुमति प्रदान करने की याचना विद्वान न्यायाधीश से की गई थी किंतु अभियुक्त पक्ष की ओर से इसका लिखित विरोध किया गया था।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता मधुबन दत्त चतुर्वेदी ने बताया कि अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी गई है और एसटीएफ का अनुरोध पूर्व में की गई अदालती कार्रवाई का ही अंश है। इसका संबंध किसी अग्रिम पूछतांछ से संबंधित नही है इसलिए ही एसटीएफ का प्रार्थनापत्र खारिज करने योग्य था।
अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम ने अपने आदेश में लिखा है कि अभियुक्त के खिलाफ आरोप प़त्र न्यायालय में प्रेषित किया जा चुका है। अतः इस स्तर पर अभियोजन का प्रार्थनापत्र स्वीकार करनेयोग्य नही है इसलिए अभियोजन की ओर से प्रस्तुत 18क प्रार्थनापत्र निरस्त किया जाता है।