दुनियाभर में फैले कोरोना के प्रकोप के कारण भारतीय छात्रों को भी अपनी उच्च शिक्षा संबंधी योजनाएं बदलनी पड़ रही हैं। विदेश जाने के बदले अब देशी शिक्षा संस्थानों में पढ़ने की ओर उनका रुझान बढ़ रहा है। इसकी वजह भारत की तुलना में अन्य देशों में कोरोना की भयावह स्थिति है।
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भारतीय छात्र विदेश यात्रा, वहां अपनी स्वास्थ्य सुरक्षा और रहने की व्यवस्था को लेकर दुविधा में हैं। लॉकडाउन से बिगड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था के कारण वह रोजगार और वेतन की संरचना को लेकर भी बेहद चिंतित हैं। एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में विदेश में पढ़ने की योजना बनाने वाले 61 फीसदी भारतीय छात्रों ने फिलहाल अपनी योजना स्थगित कर दी है।
क्वैकरेली साइमंड्स एक ब्रिटिश एजेंसी है, जो हर साल विश्व विश्वविद्यालय रैंकिंग को सामने लाती है, उसकी एक सर्वे रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, 61 प्रतिशत छात्रों ने अपने अध्ययन के पाठ्यक्रम को एक वर्ष के लिए टालने का फैसला किया है, आठ प्रतिशत ने अलग देश में अध्ययन करने का चयन किया है और सात प्रतिशत लोगों ने अपनी योजना पूरी तरह से रद्द कर दी है।
क्यूएस द्वारा किए गए सर्वेक्षण में विदेश में पढ़ाई करने वाले छात्रों से पूछा गया था कि कोविड संकट ने उनकी अध्ययन योजनाओं को कैसे प्रभावित किया है। 11 अगस्त तक, सर्वेक्षण में 66,959 प्रतिक्रियाएं मिलीं थीं, जिनमें से 11,310 भारतीय हैं।
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भारतीय छात्रों के बारे में अलग-अलग आंकड़ों के अनुसार, क्यूएस ने बताया कि सर्वे में शामिल हुए लगभग 49 प्रतिशत ने पोस्ट ग्रेजुएट, स्तर एमबीए, मास्टर डिग्री और स्नातक डिप्लोमा के लिए योजना बनाई है।
19 प्रतिशत लोगों ने मास्टर और पीएचडी के लिए अध्ययन करने की योजना बनाई है और 29 प्रतिशत विदेश में स्नातक की पढ़ाई करना चाहते हैं। शेष अंग्रेजी भाषा के अध्ययन, फाउंडेशन कोर्स और व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण को आगे बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।
विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भारत से हर साल लाखों छात्र पढ़ाई करने विदेश जाते हैं। जुलाई 2018 के आंकड़ों के मुताबिक, 90 से अधिक देशों में 7,50,000 से ज्यादा भारतीय छात्र पढ़ रहे हैं। भारत इस मामले में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। अमेरिका, संयुक्त राज्य, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड ऐसे देश हैं, जहां सबसे ज्यादा भारतीय छात्र पढ़ने जाते हैं। विदेशी विश्वविद्यालयों में बड़ी तादाद में भारतीय फैकल्टी भी हैं।