नोएडा। ग्रेटर नोएडा के दादरी के बादलपुर कोतवाली क्षेत्र के गांव डेरीस्कनर की होनहार छात्रा की सोमवार को बुलंदशहर के औरंगाबाद के पास सड़क हादसे में मौत हो गई। परिजनों के मुताबिक, सुदीक्षा भाटी (19) अपने चाचा के साथ बाइक पर जा रही थी।
उनकी बाइक में दूसरे बाइक सवार ने सामने से टक्कर मार दी। सुदीक्षा और उनके चाचा बाइक समेत सड़क पर गिर पड़े। इस दौरान सुदीक्षा का सिर सड़क से टकरा गया और उनकी मौके पर ही मौत गई।
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बताया गया है कि सुदीक्षा ने हेलमेट नहीं लगाया था, जबकि उनके चाचा ने हेलमेट लगा रखा था। लोगों का कहना है कि सुदीक्षा ने हेलमेट लगाया होता तो उनकी जान बच सकती थी। वहीं, हादसे के तुरंत बाद टक्कर मारने वाला मौके से फरार हो गया। उधर, बेटी की मौत के बाद परिवार पूरी तरह से टूट गया है। छात्रा अमेरिका में बीबीए की पढ़ाई कर रही थी। वहां की सरकार ने छात्रा को 3.80 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप दी थी। सुदीक्षा सोमवार को चाचा सतेंद्र भाटी के साथ बाइक से औरंगाबाद स्थित माधवगढ़ गांव में रिश्तेदारी में गई थी। सुदीक्षा ने बुलंदशहर के विद्या ज्ञान स्कूल से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की थी। इंटर में 98 फीसदी अंक हासिल किए थे। छात्रा का अंतिम संस्कार कर दिया गया है।
3.80 करोड़ की स्कॉलरशिप मिली थी
स्कूल में उच्च स्तर की पढ़ाई के लिए फॉर्म भरवाए गए थे। छात्रा का अमेरिका के नामी कॉलेज बैबसन में बीबीए के लिए चयन हो गया था। सुदीक्षा ने अमेरिकी सरकार से स्कॉलरशिप के लिए आवेदन किया था। उन्हें 3.80 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप मिली थी। सामान्य परिवार की छात्रा ने स्कॉलरशिप हासिल कर परिवार, क्षेत्र और समाज का नाम रोशन किया था। वह जुलाई, 2018 में अमेरिका गई थी। ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने उनका सम्मान भी किया था।
कोरोना वायरस के कारण सुदीक्षा 14 मार्च को अमेरिका से भारत आ गई थीं। तब से अपने घर पर ही थीं। 16 अगस्त को उन्हें वापस अमेरिका जाना था। सुदीक्षा के पिता की चाय की दुकान थी। फिलहाल परचून की दुकान है। वही परिवार का पालन पोषण कर रहे थे। सुदीक्षा की तीन बहन और दो भाई हैं। वह सबसे बड़ी थी। सभी को उम्मीद थी कि पढ़ाई पूरी करने के बाद वह घर की जिम्मेदारी संभालेंगी। तीन साल की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी, लेकिन सुदीक्षा की मौत ने परिवार के सपनों को चकनाचूर कर दिया।
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लड़कियों को शिक्षित करने का था सपना
सुदीक्षा एक साधारण परिवार से निकलकर शिक्षा के दम पर अमेरिका तक पहुंच गई थीं। वह गांव और देश की अन्य लड़कियों को भी शिक्षित करना चाहती थीं। यही कारण था कि अमेरिका से आने पर वह गांव की लड़कियों को पढ़ाती थीं। परिजनों से कहती थी कि 20 साल की एक योजना बनाई है। एनजीओ बनाकर गांव और देश की लड़कियों को शिक्षित करने का काम करेंगी। सुुदीक्षा का कहना था कि अगर लड़कियां शिक्षित हो जाएंगी तो देश की कई समस्याओं का समाधान हो जाएगा।