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सुल्तानपुर : DM की बढ़ी मुश्किलें, सर्वे किट की खरीद में भ्रष्टाचार के मामले ने पकड़ा तूल

सुल्तानपुर कोरोना किट घोटाला

सुल्तानपुर कोरोना किट घोटाला

सुलतानपुर। उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में कोरोना जांच के लिए सर्वे किट (पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर) की खरीदारी में भ्रष्टाचार का मामला तूल पकड़ता ही जा रहा है।

भाजपा विधायक ने डीएम की सफाई के बाद फिर कुछ सवाल खड़े कर दिये हैं। मामले को आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी का भी समर्थन मिल गया है, जिससे सुलतानपुर जिलाधिकारी की मुश्किलें बढ़ती ही दिख रही हैं।

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जिले की लंभुआ सीट से विधायक देवमणि द्विवेदी ने पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर के भुगतान में ज्यादा वसूली किये जाने के आरोप पर जिलाधिकारी सी इंदुमति की सफाई के बाद फिर से सवाल खड़े किये हैं। उन्होंने कहा “2800 रूपये का शासनादेश 24 जुलाई को सुलतानपुर आया है। अब 24 जुलाई से 17 अगस्त 2020 के बीच भी भुगतान के लिए हाई रेट का टोगल लगाया गया। यह अधिक रेट का टोगल सुल्तानपुर में हो या इस बहाने उत्तर प्रदेश के किसी अन्य जिले में हो, सबको रिफंड होना पड़ेगा क्योंकि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जीरो टॉरलेन्स यानी भ्रष्टाचार मुक्त पर काम कर रही हैं। भ्रष्टाचार व गुंडागर्दी के विरोध में ही योगी सरकार बनी है।”

विधायक से किये गए सवाल कि डीएम ने सफाई में कहा “ सारी खरीद-फरोख़्त शासनादेश के हिसाब से हई है, विधायक का आरोप गलत और दुर्घटनापूर्ण है।” विधायक देवमणि द्विवेदी ने कहा कि जाँच चल रही है, सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा।

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उधर, कोविड-19 की जांच सामग्री की खरीद में जिलाधिकारी पर भ्रष्टाचार का मामला वायरल होते ही विपक्ष ने हाथों-हाथ ले लिया है। आम आदमी पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी व सुल्तानपुर निवासी संजय सिंह ने इस बहाने भ्रष्टाचार पर योगी सरकार को घेरने का प्रयास किया है। इसी तरह सुल्तानपुर सदर से समाजवादी पार्टी के विधायक रहे अनूप संडा ने कहा कि योगी सरकार अफसरों के माध्यम से प्रदेश में जनता की गाढ़ी कमाई को लूट रही है। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली पर भी प्रश्न खड़े किये।

ज्ञातव्य है कि बीते 27 अगस्त को सुल्तानपुर जिले के लंभुआ विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक देवमणि द्विवेदी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सुल्तानपुर में कोरोना महामारी के दौरान पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर की खरीद पर जिलाधिकारी द्वारा व्यापक भ्रष्टाचार किये जाने का आरोप लगाया था जिस पर प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री संजय प्रसाद ने अपर मुख्य सचिव पंचायती राज को जांच सौंपी है।

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इस पत्र के ही वायरल होने पर जिले के प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मच गया। इसे संज्ञान लेकर जिलाधिकारी सी इंदुमती ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि खरीद-फरोख्त की संपूर्ण प्रक्रिया शासनादेश को ध्यान में रखते हुए की गई है। शासनादेश में निर्धारित मूल्य से अधिक मूल्य पर आपूर्ति करने वाली 682 ग्राम पंचायतों का भुगतान भी रोक दिया गया है। शासनादेश में विहित निर्देशों का अक्षरशःपालन किया है। किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। हमारी मंशा बहुत साफ है और हम सभी बहुत ही इमानदारी से काम कर रहे हैं।

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उन्होने कहा कि विधायक द्वारा लगाए गए आरोप निराधार व दुर्घाटनापूर्ण हैं। हालांकि जिलाधिकारी ने 304 ग्राम पंचायतों का भुगतान शासनादेश निर्गत होने के पूर्व में ही कर दिये जाने तथा शासनादेश के करीब 20 दिन बाद भुगतान पर रोक लगाने को स्पष्ट नही किया।

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