उच्चतम न्यायालय ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की शिकायतों पर गौर करने के लिए एक समिति का गठन किया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक तीनों कृषि कानून के अमल पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों से सहयोग मांगते हुए कहा कि कृषि कानूनों पर ‘जो लोग सही में समाधान चाहते हैं, वे समिति के पास जाएंगे’। अदालत की सुनवाई के दौरान एक अधिवक्ता ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शरद अरविंद बोबड़े की तुलना भगवान से कर दी।
दरअसल CJI ने सुनवाई के दौरान कहा कि बार के सदस्यों को न्यायिक प्रक्रिया के प्रति कुछ निष्ठा दिखानी होगी। यदि यह आपके पक्ष में नहीं है तो आप इस प्रक्रिया को अस्वीकार नहीं कर सकते। आपको हमारे साथ सहयोग करना होगा और उसी अनुसार मुवक्किल से बात करनी होगी। आप अपने मुवक्किलों को कुछ सकारात्मक बताए बिना हमें नकारात्मक नहीं बता सकते।
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इसके बाद एडवोकेट किसानों के एमएल शर्मा ने CJI को संबोधित करते हुए कहा- ‘आप साक्षात भगवान हैं।’ इसी सुनवाई के दौरान शर्मा ने कहा, किसान कह रहे हैं कि कई लोग चर्चा के लिए आए लेकिन मुख्य व्यक्ति प्रधानमंत्री नहीं आए। जिस पर सीजेआई ने कहा कि हम प्रधानमंत्री को नहीं कह सकते। वह इस मामले में पक्षकार नहीं हैं।
वहीं कोर्ट के बाहर मीडिया से बातचीत में वकील शर्मा ने कहा- ‘कोर्ट ने कमेटी में बनाई है। सब किसानों की बात सुनी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कानूनों के लागू होने पर फिलहाल स्टे लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि प्रदर्शन का अधिकार सबके पास है। पुलिस किसी भी किसान को दिल्ली में आने से नहीं रोक सकती जो शांति से आ रहे है।’
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वहीं सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर वकील एपी सिंह ने कहा, ‘ये किसानों की जीत है उन कानूनों को लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने स्टे कर दिया है हमने कमिटी के लिए कुछ लोगों के नाम सुझाए हैं। कानूनों पर रोक लगाना कहीं न कहीं किसानों की सबसे बड़ी जीत है। अब हम अपने क्लाइंट से बात करेंगे कमिटी में किस को रखेंगे। दूसरी ओर अदालत के फैसले के बाद भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि उन्होंने कमिटी बनाने की बात की है जो लीगल लोग बैठकर बात करेंगे, हम चर्चा करके बताएंगे।