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चुनाव आयोग के आदेश के खिलाफ कमलनाथ पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, मांगा न्याय

कमल नाथ के भाई व भाभी की हत्या Kamal Nath's brother and sister-in-law murdered

कमल नाथ के भाई व भाभी की हत्या

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश उपचुनाव में अपने स्टार प्रचारक का दर्जा रद्द करने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने चुनाव आयोग के आदेश को चुनौती दी है।
कमलनाथ ने कहा कि मुझे मध्य प्रदेश के मतदाताओं और जनता पर पूरा विश्वास है, खास कर के इन 28 सीटों पर। जो यह सौदे की सरकार है, नवंबर 2018 में जनता ने भाजपा को विदा कर दिया था, शिवराज को घर बिठाया था। कौन सी चीज बदली है, सात महीने में। भाजपा ने केवल सौदेबाजी की, किसान और त्रस्त हुआ, बेरोज़गारी बढ़ी। जनता इसे नहीं समझती क्या, तो जनता इसका फैसला करेगी। हमारे मध्यप्रदेश के मतदाता सीधे-सादे हैं, भोले-भाले, गरीब हैं,लेकिन बहुत समझदार हैं। वह सही निर्णय करेंगें।’

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स्टार प्रचारक का दर्जा छीने जाने को लेकर उन्होंने आगे कहा कि स्टार प्रचारक का कौन सा पद, कौन सा कद होता है। चुनाव आयोग ने मुझे कोई नोटिस नहीं दिया, मुझे पूछा नहीं, तो ये कौन कर रहा है?, आखिरी दो दिनों में, वह जानें उनका काम जाने।

कमलनाथ ने ‘आइटम’ वाले बयान का बचाव करते हुए कहा कि मैं इतने साल लोकसभा में रहा। लोकसभा की शीट पर, एजेंडे में लिखा रहता है, आइटम नं 1, 2… मेरे दिमाग में वो रहा। मैंने किसी के प्रति दुर्भावना से या किसी को अपमानित करने के लिए नहीं बोला था। क्योंकि ये आइटम शब्द से मैं बहुत परिचित रहा हूं, लोकसभा और विधानसभा में। और मैंने ये कहा कि अगर कोई अपमानित महसूस करता है तो मैं खेद व्यक्त करता हूं।

इस बीच कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने पूर्व मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सीएम कमलनाथ के स्टार प्रचारक के पद को रद्द करने को ‘अनुचित’ बताया है। उन्होंने कहा है कि उम्मीदवारों के बीच इस तरह की ‘व्यंग्यात्मक टिप्पणियां’ दुनिया भर में चुनाव प्रचार में देखने को मिलता है, जिसमें अमेरिका भी शामिल है।

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गौरतलब है कि शुक्रवार को भारतीय चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लेते हुए मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ से स्टार प्रचारक का दर्जा छीन लिया था। आयोग ने यह फैसला कमलनाथ के खिलाफ आदर्श आचार संहिता का बार-बार उल्लंघन करने के आरोप लगने के बाद लिया था।

इसके बाद कांग्रेस ने चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ अदालत का रुख करने का फैसला किया था। कांग्रेस की मध्यप्रदेश इकाई के नरेंद्र सलूजा ने कहा था कि पार्टी चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ पार्टी अदालत जाएगी।

बता दें कि राज्य के इतिहास में पहली बार 28 विधानसभा सीटों पर एक साथ उपचुनाव होने जा रहे हैं। तीन नवंबर को होने वाले इस उपचुनाव से यह तय होगा कि प्रदेश की सत्ता में सत्तारूढ़ भाजपा रहेगी या विपक्षी कांग्रेस। मतगणना 10 नवंबर को होगी।

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