नई दिल्ली| सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा स्थगित करने की मांग वाली याचिका के जवाब में यूपीएससी ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दायर कर कहा कि वह पहले ही इस परीक्षा के आयोजन में 50 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है, अगर आगे फिर से इस परीक्षा को टाला जाता है तो इससे सरकारी पैसे का बड़ा नुकसान होगा।
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) का यह हलफनामा बुधवार को होने वाली सुनवाई से पहले आया। इससे पहले यूपीएससी ने शीर्ष अदालत में कहा था कि परीक्षा को स्थगित करना असंभव है। यूपीएससी अभ्यर्थियों की ओर से दायर याचिका में देश में तेजी से कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों और कई राज्यों में भयंकर बाढ़ की स्थिति के मद्देनजर परीक्षा स्थगित करने की मांग की गई है।
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यूपीएससी ने हलफनामे में कहा है कि कोविड-19 महामारी के चलते वह कई भर्ती परीक्षाएं स्थगित कर चुका है। लेकिन सरकारी सेवाओं में खाली पड़े अहम पदों को भरने के लिए सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2020 का होना बहुत जरूरी है। आयोग ने कहा कि वह परीक्षा स्थगित करने की मांग का इसलिए भी विरोध कर रहा है क्योंकि 4 अक्टूबर तक ही परीक्षा अधिकतम स्थगित की जा सकती थी।
यूपीएससी के संयुक्त सचिव (परीक्षा) राज कुमार द्वारा दाखिल हलफनामे में कहा गया है, “परीक्षा टलने से कैलेंडर के सिर्फ एक बार नहीं, बल्कि भविष्य में इसके व्यापक दुष्प्रभाव की संभावना है। सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के अलावा अन्य भर्ती परीक्षाओं का सेकेंड स्टेज व इंटरव्यू इस वर्ष होने हैं। अगर 4 अक्टूबर से डेट आगे बढ़ी तो सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2021 जो कि 27 जून 2021 को होनी, वह भी आगे बढ़ जाएगी।”
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हलफनामे के मुताबिक, यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2020 के लिए 10 लाख से ज्यादा युवाओं ने आवेदन किया है। रजिस्टर्ड आवेदकों में से साढ़े छह लाख से ज्यादा (करीब 65 फीसदी) अभ्यर्थी सोमवार तक एडमिट कार्ड डाउनलोड कर चुके हैं। परीक्षा की तैयारी पूरी हो चुकी है। परीक्षा सामग्री, अटेंडेंस शीट, इनविजिलेटर व सुपरवाइजर की लिस्ट संबंधित परीक्षा केंद्रों में भेजी जा चुकी है। परीक्षा 2,569 केंद्रों पर होनी है।