ई दिल्ली। कवि कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) का एक बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने सोनाक्षी सिन्हा (Sonakshi Sinha) की शादी को लेकर शत्रुघन सिन्हा (Shatrughan Sinha) पर इशारों-इशारों में तंज कसा है। कुमार विश्वास ने कहा कि अपने बच्चों को रामायण पढ़वाइए, ताकि घर की लक्ष्मी को कोई और न उठा ले जाए। इस बयान के बाद राजनीति गरमा गई है और कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत (Supriya Shrinet) ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
सुप्रिया श्रीनेत (Supriya Shrinet) ने ‘एक्स’ पर लिखा कि अगर आपके अपने घर में एक बेटी हो, तो क्या आप किसी और की बेटी पर भद्दी टिप्पणी करेंगे? अगर आपके अपने घर में एक बेटी हो तो क्या आप किसी और की बेटी पर भद्दी टिप्पणी करके सस्ती तालियाँ बटोरेंगे? ऐसा करने पर आप किस हद तक गिरे हुए हैं, इसका तो अंदाज़ा लग ही गया है कुमार विश्वास जी आपने सोनाक्षी सिन्हा के अंतरधार्मिक विवाह पर तो घटिया तंज किया ही पर आपने अपने अंदर महिलाओं के लिए जो असल सोच है उसे भी उजागर कर दिया आपके शब्द ‘वरना आपके घर की श्रीलक्ष्मी को कोई और उठा कर ले जायेगा’। क्या लड़की कोई समान है जिसको कोई कहीं उठा कर ले जाएगा? कब तक आपके जैसे लोग एक औरत को पहले पिता और फिर पति की संपत्ति समझते रहेंगे?
सीमा हैदर पांचवीं बार बनेंगी मां, इस दिन देंगी सचिन के बच्चे को जन्म
विवाह और दाम्पत्य की नींव बराबरी, आपसी विश्वास और आपसी प्रेम है। कोई किसी को कहीं उठा कर नहीं ले जाता और 2024 के भारत में आप अपनी मर्जी से शादी करने पर परवरिश पर सवाल उठा रहे हैं? क्या एक लड़की को यह हक नहीं कि जिससे उसकी मर्जी हो उससे वह विवाह करे? या कौन क्या खायेगा, क्या पहनेगा, किससे प्यार करेगा, कैसे विवाह करेगा इसका निर्णय भी धर्म के स्वयंभू ठेकेदार करेंगे? वैसे परवरिश पर तो सवाल तब भी नहीं होना चाहिए जब आपके साथ वाले बाउंसर एक संभ्रांत डॉक्टर को पीट डालें – यह तो आपकी कमी है जो आपका स्टाफ आपके रहते हुए ऐसा करे आपके सर्टिफिकेट की ना तो शत्रुघ्न सिन्हा जी को ज़रूरत है ना उनकी कामयाब बेटी सोनाक्षी को, लेकिन अपने से 17 साल उम्र में छोटी लड़की पर आपकी टिप्पणी आपकी छोटी सोच को बेनक़ाब ज़रूर कर देती है ना श्रीराम किसी की बपौती हैं, ना रामायण, ना उससे जुड़ा कोई नाम दूसरों के बच्चों को रामायण और गीता पढ़ने की सीख देने वाले कवि महोदय, सोनाक्षी के पति के धर्म से नफ़रत करने में आप रामायण में परस्पर प्रेम पर कितना मधुर अंकित है वो भूल गए?
सब नर करहिं परस्पर प्रीती।
चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीती।।
आपने रामायण का अध्ययन वाक़ई में किया होता तो प्रेम ज़रूर समझते। आपके अंदर राम कथा वाचक बनने की लालसा तो बहुत है, लेकिन प्रभु राम की शालीनता और मर्यादा का रत्ती भर गुण नहीं दो मिनट की सस्ती तालियाँ तो आपको ज़रूर मिलीं लेकिन आपका कद जमीन में और धंस गया। आपको गलती का एहसास करके एक पिता और उनकी बेटी दोनों से माफ़ी माँगनी चाहिए।