लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने हिंदू धर्म को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म है ही नहीं। इसके अलावा उन्होंने महाभारत, रामचरितमानस, केदारनाथ-बदरीनाथ, संस्कृत भाषा सहित कई विषयों पर भी अपनी बात रखी। इसके साथ ही बेटी को लेकर उनका दर्द आज चर्चा के दौरान देखने को मिला। मौर्य ने बेटी के बीजेपी के साथ होने पर कहा- बीजेपी के लोग मुझे पहचान गए लेकिन वो अभी तक मुझे पहचान नहीं सकी है।
दरअसल स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) से कहा गया कि आपकी बेटी बीजेपी की सांसद हैं और उनका कहना है कि पार्टी जब कहेगी तो पिताजी को बीजेपी में ले आएंगे। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि बेटी तो बेटी है, उसमें बचपना है। वो जिस पार्टी में है उस पार्टी के सभी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को समझ चुके हैं लेकिन मेरी बेटी मुझे अभी नहीं समझ पाई है, उसमें अभी बचपना है।
छठवीं-सातवीं शताब्दी के बाद लिखा गया महाभारत
स्वामी प्रसाद (Swami Prasad Maurya) ने कहा कि महाभारत छठवीं-सातवीं शताब्दी के बाद लिखा गया। उन्होंने कहा कि महाभारत, रामचरितमानस जैसे जितने भी ग्रंथ हैं, वे सभी छठवीं-सातवीं शताब्दी के बाद लिखे गए। देवनागरी लिपि का प्रादुर्भाव सातवीं और आठवीं शताब्दी के बीच हुआ है।
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सपा के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि जब संस्कृत भाषा पहले थी ही नहीं तो ये सब कैसे लिखा गया। संस्कृत और हिंदी भाषा की पैदाइश ही छठवीं के अंत और सातवीं शताब्दी में हुई है। उन्होंने कहा कि महाभारत लिखने का कोई औचित्य ही नहीं जब संस्कृत भाषा थी ही नहीं। इसलिए मैं कह रहा हूं कि ये जितनी भी पुस्तक हैं, वे सब छठी और सातवीं शताब्दी के बाद लिखी गई हैं।
बदरीनाथ और केदारनाथ बौद्ध मठ थे
बदरीनाथ और केदारनाथ को लेकर स्वामी प्रसाद ((Swami Prasad Maurya) ) ने कहा कि कहा कि बदरीनाथ और केदारनाथ बौद्ध मठ थे। शंकराचार्य ने मठ को मंदिर में तब्दील करवाया। बुद्ध की मू्र्ति को शिवलिंग बताया जा रहा है। एएसआई के लोग मूर्ति को शिवलिंग बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब बुद्ध का जन्म हुआ तब हिंदू धर्म नहीं था। उस समय वैदिक धर्म था। सपा नेता ने कहा कि वो रामभद्राचार्य जी को संत नहीं मानते।