स्वास्तिक (Swastika) वास्तुदोष निवारण के लिए एक अच्छा उपाय है क्योंकि इसकी चारों भुजाएं चारों दिशाओं की प्रतीक होती हैं और इसीलिए इस चिन्ह को बना कर चारों दिशाओं को एक समान शुद्ध किया जा सकता है।
सनातन धर्म में ही नहीं,अपितु अन्य धर्मों में भी स्वास्तिक को परम पवित्र, मंगल करने वाला प्रतीक माना गया है। स्वास्तिक को ‘सातिया’ भी कहते हैं इसे सुदर्शन चक्र का प्रतीक भी माना जाता है। स्वस्तिवाचन हुए बिना हिन्दुओं का कोई भी शुभ कार्य संपन्न नहीं होता। स्वास्तिक सत्य, शाश्वत, शांति, अनंतदिव्य, ऐश्वर्य एवं सौंदर्य का मांगलिक चिन्ह तथा प्रतीक है,जो बहुत शुभ माना गया है।
यह धनात्मक या प्लस को भी इंगित करता है,जो सम्पन्नता का प्रतीक है। इसके चारों ओर लगाए गए बिंदुओं को चार दिशाओं का प्रतीक माना गया है। शास्त्रों के अनुसार स्वास्तिक बनाने के दौरान उसकी चार भुजाएं समानांतर रहती हैं और इन चारों भुजाओं का बड़ा धार्मिक महत्व है। इन्हें चार दिशाओं का प्रतीक माना जाता है।
मान्यता है कि यह चार वेदों के अलावा, चार पुरुषार्थ जिनमें धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष शामिल है का प्रतीक हैं। गणेश पुराण में कहा गया है कि स्वास्तिक गणेशजी का ही रूप है इसलिए कोई भी शुभ, मांगलिक और कल्याणकारी कार्य की शुरुआत स्वास्तिक बनाकर की जाती है।
इसमें सारे विघ्नों को हरने और अंमगल दूर करने की शक्ति निहित है। जो इसकी प्रतिष्ठा किए बिना मांगलिक कार्य करता है, वह कार्य निर्विघ्न सफल नहीं होता। स्वास्तिक का चिन्ह भगवान राम, श्री कृष्ण के पैरों एवं भगवान बुद्ध के हृदय पर अंकित है।
स्वास्तिक (Swastika) से दूर करें वास्तु दोष
स्वास्तिक (Swastika) वास्तुदोष निवारण के लिए एक अच्छा उपाय है क्योंकि इसकी चारों भुजाएं चारों दिशाओं की प्रतीक होती हैं और इसीलिए इस चिन्ह को बना कर चारों दिशाओं को एक समान शुद्ध किया जा सकता है। यदि आपके घर में मुख्यद्वार के आस-पास किसी प्रकार का कोई वास्तुदोष है तो यहां की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने के लिए आपको 9 इंच लंबा और चौड़ा सिंदूर से दरवाजे पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए। इसकी जगह आप अष्टधातु या तांबे का स्वास्तिक भी यहाँ लगा सकते हैं।
व्यापार में लाभ के लिए
यदि आपको अपने कारोबार में घाटा हो रहा है, तो इसके लिए आपको अपने कार्यस्थल के ईशान कोण में लगातार 7 गुरुवार को वहां पर सूखी हल्दी से स्वास्तिक का चिन्ह बनाने से व्यापार में फायदा होगा। इसी प्रकार उत्तर दिशा में हल्दी का स्वास्तिक चिन्ह बनाने से आपको अपने कार्य में सफलता मिलती है।