तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद काबुल पर अपना शिकंजा कस लिया है। न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक, तीन अफगान अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि तालिबान के आतंकी काबुल की सीमाओं में दाखिल हो गए हैं।
ताजा जानकारी मिली है कि तालिबान के नंबर-2 नेता मुल्ला बरादर अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से सत्ता हस्तांतरण के लिए बात कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि अली अहमद जलाली को राष्ट्रपति अशरफ गनी सत्ता सौपेंगे।
इस बीच तालिबान ने काबुल की बगराम जेल के बाद पुल-ए-चरखी जेल को भी तोड़ दिया है। उसने वहां से हजारों कैदियों को भी आजाद कर दिया है। पुल-ए-चरखी अफगानिस्तान की सबसे बड़ी जेल है। यहां ज्यादातर तालिबान के लड़ाके बंद थे।
सूत्रों के मुताबिक, भारत की ओर से अभी राजनयिकों को बुलाने पर फैसला नहीं हुआ है। हालात को देखकर उनको बुलाने पर निर्णय लिया जाएगा। वहीं, ब्रिटेन सरकार अपने राजदूत को एयरलिफ्ट करने का फैसला किया है।
काबुल पहुंचा तालिबान , बोले- घरों में रहे लोग, देश छोड़ने की कोशिश भी ना करें
अफगान की राजधानी में गोलियों की रुक-रुक कर आ रही आवाजों के बीच तालिबान ने एक बयान में कहा कि उनकी काबुल को ‘जबरदस्ती’ अपने कब्जे में लेने की योजना नहीं है। बता दें कि दो दशक की लड़ाई के बाद अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो बलों की संपूर्ण वापसी से पहले तालिबान देश पर हर ओर से कब्जा करता जा रहा है। वहीं राजधानी काबुल के बाहरी इलाकों में प्रवेश से पूर्व रविवार सुबह चरमपंथी संगठन ने जलालाबाद शहर पर कब्जा कर लिया था।
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में घुसने की खबरों के बीच तालिबान ने एक बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि उनका इरादा किसी को नुकसान पहुंचाने का नहीं है। तालिबान ने अपने लड़ाकों को काबुल में नहीं घुसने को और सीमाओं पर ही इंतजार करने को कहा है। तालिबान ने कहा है कि वे आम लोगों या सेना के खिलाफ कोई बदले की कार्रवाई नहीं करेंगे। हालांकि चरमपंथी संगठन ने लोगों को घर में ही रहने के लिए धमकाया है।