काबुल। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंधों में तनाव चरम पर पहुंच गया है। इसके पीछे एक बड़ी वजह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) है। टीटीपी को लेकर पाकिस्तान के लगातार आक्रामक तेवर के बीच अब कतर में संगठन के एक शीर्ष नेता ने निशाना साधा है
तालिबान (Taliban) के एक अधिकारी अहमद यासिर ने ट्वीट कर पाकिस्तान (Pakista) को 1971 युद्ध की याद दिला दी है। यासिर ने कहा है कि अगर पाकिस्तान, अफगानिस्तान पर हमला करता है तो इससे 1971 की लड़ाई दोहराई जाएगी।
दरअसल यासिर ने पाकिस्तान की गीदड़ भभकी पर उसे आईना दिखाते हुए 16 दिसंबर 1971 की एक तस्वीर पोस्ट करते हुए कहा है कि पाकिस्तानी सेना को एक और युद्ध हारने से बचने के लिए अफगानिस्तान से दूर रहना चाहिए। पाकिस्तानी सेना को 1971 के युद्ध में भारत के आगे सरेंडर करना पड़ा था।
बता दें कि पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार का आरोप है कि अफगानिस्तान टीटीपी आतंकवादियों को शरण दे रहा है। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में घुसकर टीटीपी का सफाया करने की भी चेतावनी दी थी।
यासिर ने 16 दिसंबर 1971 की एक तस्वीर ट्वीट कर कहा कि पाकिस्तान के गृहमंत्री जी। यह अफगानिस्तान है, गौरवान्वित सम्राटों की भूमि है। हम पर सैन्य हमले की सोचना भी मत, वरना भारत के सामने जिस तरह हथियार डाले थे। उस शर्मनाक वाकये को दोबारा दोहराया जाएगा।
दलितों का आरक्षण खत्म करने का प्रयास कर सकती है भाजपा: अखिलेश यादव
दरअसल 16 दिसंबर 1971 की इस तस्वीर में ईस्ट पाकिस्तान के चीफ मार्शल लॉ एडमिनिस्ट्रेशन (अब बांग्लादेश) और पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आमिर अब्दुल्लाह खान नियाजी ने सरेंडर दस्तावेजों पर साइन किए थे।
दरअसल तालिबान की यह प्रतिक्रिया पाकिस्तान के गृहमंत्री राना सनाउल्ला की उस चेतावनी के बाद आया है, जब उन्होंने अफगानिस्तान में टीटीपी के ठिकानों पर हमले की चेतावनी दी थी।
कुछ दिन पहले राना सनाउल्लाह ने कहा था कि अगर पाकिस्तान को तालिबान जैसे समूहों से खतरा होता है तो उसके पास अफगानिस्तान में विद्रोहियों के ठिकानों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार है।
उन्होंने कहा था कि अगर काबुल में टीटीपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की तो इस्लामाबाद अफगानिस्तान में टीटीपी के ठिकानों पर हमला कर सकता है।