पटना। बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने कोरोना महामारी और बाढ़ से जूझ रहे बिहार में सत्ता पक्ष और विपक्ष को जहां साथ मिलकर सकारात्मक राजनीति करने की नसीहत दी वहीं इस विषम परिस्थिति में खराब स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सरकार पर हमला बोला और कहा कि पंद्रह वर्ष की विफलता छुपाने के लिए भूतकाल की बातें कर कटाक्ष करने वालों को इतिहास के बासी पन्ने मुबारक हो।
श्री यादव ने सोमवार को सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र के ज्ञान भवन में आहूत सोलहवें विधानसभा के एकदिवसीय अंतिम सत्र (मॉनसून सत्र) में कोरोना और बाढ़ पर हुई विशेष चर्चा के दौरान कहा, “जब 15 वर्ष के कार्यकाल में कोई सकारात्मक काम ही नहीं किया तो सरकार में शामिल लोग अब मुझ पर कटाक्ष ही कर सकते हैं। मैं आलोचना से नहीं घबराता, आलोचकों को गले लगाता हूं। जितनी उनकी आलोचना की धार तेज होगी उतनी ही तेज मेरी रफ्तार होगी। जितना आप प्रपंच करेंगे उतना ही हम प्रबल होंगे। वह कटाक्ष कर भूतकाल की बात करते हैं जबकि मैं भविष्य की बात करता हूं। इतिहास के बासी पन्ने आपको मुबारक।”
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नेता प्रतिपक्ष ने नीति आयोग की रिपोर्ट के हवाले से राज्य की खराब स्वास्थ्य-व्यवस्था को लेकर सरकार पर निशाना साधा और कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक प्रति एक हजार व्यक्ति पर एक चिकित्सक का होना अनिवार्य है लेकिन बिहार के शहरी क्षेत्र में जहां 3207 लोगों पर एक चिकित्सक हैं वहीं ग्रामीण इलाके में 17085 व्यक्ति पर एक डॉक्टर उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि राज्य में विशेषज्ञ चिकित्सक के 600 स्वीकृत पद में से 518, रेडियोग्राफर के 150 पद में से 149, लैब टेक्टनिशियन के 2049 पद में से 1438 और नर्सिंग कर्मियों के 2949 में से 1319 पद रिक्त हैं।
श्री यादव ने बताया कि नीति आयोग की रिपोर्ट बताती है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में बिहार का पिछले पंद्रह वर्ष के दौरान सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। इस क्षेत्र के विकास के लिए राज्य को केंद्र से जो राशि दी गई सरकार उसका आधा भी खर्च नहीं कर पाई। आयुष्मान भारत के क्रियान्वयन में भी बिहार का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है, जिसकी वजह से केंद्र सरकार ओर से इस मद के लिए राशि का आवंटन ही नहीं किया गया। राज्य में स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति खर्च सबसे अधिक है और इलाज के लिए यहां के अधिकांश लोग निजी अस्पतालों में जाते हैं।
श्री यादव ने अभी हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में सचिव लव अग्रवाल के नेतृत्व में बिहार आई तीन सदस्यी टीम की रिपोर्ट के हवाले से सदन को बताया कि टीम ने अपने प्रतिवेदन में माना है कि बिहार के अस्पतालों की स्थिति देखकर टीम के सदस्य हक्का-बक्का रह गये। अस्पताल में बेड पर शव पड़े देखे गये। मरीजों के रिश्तेदार बेचैन थे लेकिन कोई पूछने वाला नहीं था। राज्य को चार लाख रैपिड एंटीजन किट की आवश्यकता थी लेकिन सरकार ने महज 10 हजार किट ही खरीदे। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं सरकार सैंपल जांच के आंकड़े भी छुपा रही है।
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उप मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी पर हमला बोला और कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि सदन के सबसे कम उम्र के सदस्य होने के बावजूद श्री मोदी जैसे अनुभवी नेता उन पर कटाक्ष करते हैं। भगवान का दिया उनके पास सब कुछ है। उनकी कोई चाहत नहीं है। बस गरीबों का दुःख-दर्द बांटना है। वह देश के इकलौते ऐसे शख़्स हैं, जिनके माता और पिता दोनों मुख्यमंत्री रहे है। वह बिहार की तस्वीर और तकदीर बदलने के लिए कटिबद्ध हैं।
श्री यादव ने राज्य में बाढ़ की स्थिति को लेकर भी सरकार पर हमला बोला और कहा कि सरकार के बाढ़ पूर्व तैयारी में विफल रहने का ही परिणाम है कि 14 जिलों की 54 लाख से अधिक आबादी बाढ़ से प्रभावित है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से प्रत्येक बाढ़ पीड़ित को 20 से 25 हजार की राहत राशि दी जानी चाहिए। उन्होंने आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री लक्ष्मेश्वर राय पर भी निशाना साधा और कहा कि इस आपदा की घड़ी में भी वह दिखाई नहीं देते। राज्य में कितने ऐसे विधायक होंगे जो मंत्री को जानते तक नहीं हाेंगे।
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वहीं, चर्चा में शामिल मुख्य विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने तमाम तैयारियों के बावजूद मिथिलांचल में हर साल बाढ़ आने को लेकर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि बाढ़ स्थाई समस्या बन गई है, जिसका निदान किसी के पास नहीं है। विधानसभा में बाढ़ पर हर साल चर्चा होती है लेकिन अगले साल फिर बाढ़ आ जाती है। उन्होंने कहा कि बिहार की बाढ़ राष्ट्रीय समस्या है इसलिए डबल इंजन की सरकार नेपाल से बात करे और यदि नेपाल सहयोग न करे तो केंद्र सरकार इसकी जिम्मेवारी ले।
जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने बाढ़ को लेकर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि कोरोना महामारी में निर्माण सामग्री की उपलब्धता नहीं होने और मजदूरों की कमी के कारण 10 से 15 दिनों तक बाढ़ सुरक्षात्मक काम प्रभावित हुआ है। इसके बावजूद विभाग के अभियंता एवं कर्मचारियों के चौबीस घंटे काम करने की वजह से गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, अधवारा और कमला-बलान में सीपेज की सूचना मिलते ही युद्धस्तर पर काम करते हुए उसकी मरम्मत की गई।
श्री झा ने बताया कि फ्लड मैनेजमेंट इम्प्रूवमेंट सपोर्ट सेंटर (एफएमआईएससी) से 72 घंटे पूर्व बाढ़ संबंधी सूचनाएं प्राप्त हो जाती हैं, जो 90 प्रतिशत तक सटीक होती हैं। इस संस्थान से प्राप्त पूर्व सूचना के आधार पर बचाव कार्य में काफी मदद मिली है, जिससे पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जान-माल की क्षति कम हुई है। इस बीच नेता प्रतिपक्ष श्री यादव के नेतृत्व में विपक्षी सदस्यों ने बाढ़ प्रभावित लोगों के आंकड़े और मृतकों की संख्या बताने को लेकर हंगामा शुरू कर दिया लेकिन सभाध्यक्ष विजय कुमार चौधरी के हस्तक्षेप के बाद वह शांत हो गए।
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वहीं, आपदा प्रबंधन मंत्री लक्ष्मेश्वर राय ने वाद-विवाद में विभाग की ओर से उत्तर देते हुए सदन को बताया कि उत्तर बिहार के जलग्रहण क्षेत्र में भारी बारिश के कारण 14 जिलों में नदियां खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गई। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) एवं राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीम ने तत्परता दिखाते हुए चार लाख 90 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। वायुसेना के तीन हेलीकॉप्टर की मदद से इन इलाकों के प्रभावित लोगों को खाद्य पैकेट उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में संचालित 38 राहत केंद्रों में 26720 लोग आवासित हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों में अबतक 13 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें दरभंगा में सात, पश्चिम चंपारण में चार और मुजफ्फरपुर में दो शामिल हैं।
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि राज्य में कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। इसके तहत कोविड केयर सेंटर, डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर और डेडिकेटेड कोविड हॉस्पीटल बनाये गये हैं, जहां आईसीयू, ऑक्सीजन सिलेंडर एवं बेड की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि 6000 से अधिक बेड को ऑक्सीजन पाइपलाइन से जोड़ दिया गया है। 10000 से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हैं, 16 हजार से अधिक बी टाइप एवं डी टाइप सिलेंडर हैं तथा 861 वेंटिलेटर उपलब्ध हो चुके हैं।
श्री पांडेय ने बताया कि राज्य में 6500 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की व्यवस्था की जा रही है, जिसमें से केंद्र सरकार की ओर से 750 कंसंट्रेटर प्राप्त हो चुके हैं। इतना ही नहीं चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों का मनोबल बढ़ाए रखने के लिए उन्हें उनके एक महीने के मूल वेतन के समतुल्य प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी। इतना ही नहीं कोरोना एवं उसकी जांच संबंधी सटीक जानकारी के लिए विभाग ने संजीवन मोबाइल ऐप भी जारी किया है। इसके अलावा अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में एंबुलेंस की भी व्यवस्था की गई है।