दरभंगा। बिहार में दरभंगा जिले की एक अदालत ने दुष्कर्म के मामले में मंगलवार को एक व्यक्ति को दस साल की सजा (Imprisonment) सुनाई।
पॉक्सो एक्ट के विशेष न्यायालय की न्यायाधीश प्रतिमा परिहार की अदालत ने एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म के मामले में कमतौल थाना क्षेत्र के मिल्की निवासी फरीद शेख को दोषी करार देते हुए दस वर्षों का सश्रम कारावास (Imprisonment) और 23 हजार रुपया अर्थदंड की सजा सुनाई है।
अदालत ने कमतौल थाना के एक मामले में जीआर 44/20 की सुनवाई करते हुए अभियुक्त को भारतीय दंड विधान (भादवि) की धारा 376 में दस साल की सश्रम कारावास और दस हजार रुपये अर्थदण्ड, पाॅक्सो एक्ट की धारा 4(1) में दस साल की कठोर कारावास और दस हजार रुपये अर्थदण्ड, भादवि की धारा 506 में दो साल की कारावास और तीन हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।
विशेष लोक अभियोजक विजय कुमार ने बताया कि अगस्त 2020 में कमतौल थाना क्षेत्र के एक गांव में नाबालिग बालिका के साथ दुष्कर्म किया गया था। इसके बाद दुष्कर्मी ने नाबालिग को तस्वीर वायरल और एसिड एटैक की धमकी दी। इस कारण नाबालिग ने अपने साथ घटित घटना का जिक्र नहीं किया। जब बलात्कारी ने दुष्कर्म के लिए दुबारा पकड़ कर ले जाने का प्रयास किया तो बालिका चिल्लाने लगी और अपने साथ घटित घटना की जानकारी दी।
मामले में 22 अगस्त 2020 को अभियुक्त को गिरफ्तार किया गया जो अभी तक जेल में बंद है। मंगलवार को विशेष न्यायाधीश श्रीमती परिहार की अदालत ने जुर्मी को दोषी घोषित करते हुए दस साल की कठोर कारावास और 23 हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई है। वहीं, पीड़िता को पुनर्वास के लिए पीड़ित प्रतिकर योजना से चार लाख रुपये मुआवजा भुगतान का आदेश जिला विधिक सेवा प्राधिकार के माध्यम से करने का निर्णय सुनाई है।