वाराणसी। पद्मविभूषण से अलंकृत कथक सम्राट पं. बिरजू महाराज की अस्थियां शनिवार को गंगा में विसर्जित की गईं। परिजनों, शहर के युवा कलाकारों, प्रशंसकों ने नम आंखों से कथक सम्राट को अंतिम विदाई दी।
बिरजू महाराज के बड़े पुत्र पं. जयकिशन महाराज, परिजन और शिष्या शाश्वती सेन लखनऊ से अस्थियां लेकर सड़क मार्ग से शहर में देर रात आ गये थे। अस्थि कलश सिगरा कस्तूरबा नगर कालोनी स्थित नटराज संगीत अकादमी परिसर में लोगों के दर्शनार्थ रखा गया था। पंडित बिरजू महाराज के अस्थि कलश और उनके चित्र पर शहर के कलाकारों और युवा प्रशंसकों ने नम आंखों के बीच श्रद्धासुमन अर्पित किया। पंडित जी के शिष्याओं ने नृत्यांजलि से अपने गुरू को भावपूर्ण अन्तिम श्रद्धांजलि दी।
पूर्वांह में संगीत अकादमी परिसर से बिरजू महाराज की अस्थि कलश यात्रा अस्सीघाट के लिए रवाना हुई। घाट पर अस्थि कलश का पूजन पुरोहित पंडित रवि पांडेय ने वैदिक रीति से कराया। फिर पंडित बिरजू महाराज के परिजनों ने बजड़े पर सवार होकर गंगा की मध्य धारा में अस्थियां विसर्जित कर दिया।
इस दौरान परिवार के रागिनी महाराज, यशस्विनी महाराज, पोते त्रिभुवन महाराज आदि मौजूद रहे। अस्थि कलश यात्रा में पंडित कामेश्वर नाथ मिश्र, धर्मनाथ मिश्र, पंडित रविशंकर मिश्रा, पंडित माताप्रसाद मिश्र, युवा कथक नर्तक विशाल कृष्ण, सौरव, गौरव मिश्र, पंडित सुखदेव मिश्र आदि भी शामिल रहे।
कोरोना की तीसरी लहर के बीच यूपी के सभी स्कूल 30 जनवरी तक बंद
इसके पहले दिल्ली से पंडित बिरजू महाराज की पुत्री ममता महाराज परिवार के अन्य सदस्यों के साथ अस्थि कलश लेकर सड़क मार्ग से लखनऊ स्थित पैतृक आवास बिंदादीन महाराज की ड्योढ़ी में आईं। शुक्रवार को लखनऊ में पूरे दिन प्रशंसकों द्वारा अस्थि कलश पर पुष्पांजलि अर्पित की गई और सूर्यास्त के बाद परिजन अस्थि कलश लेकर वाराणसी के लिए रवाना हुए।