पटना। पटना में एक ऐसा वाक्या सामने आया है जिसे जान आप दंग रह जाएंगे। मामला बिहार के बक्सर जिले के सदर अस्पताल का है। यहां एक दंपत्ति अपने नवजात बच्चे की जान बचाने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर कंधे पर उठाए और नवजात बच्चे को ट्रे में लिए डॉक्टर से दिखाने के लिए घूम रहा था। डॉक्टर ने बेड तक जाकर उन्हें देखना मुनासिब नहीं समझा और वह घंटों चक्कर काटता रहा। आखिरकार सदर अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही और समय पर इलाज न मिलने के कारण नवजात की मौत हो गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, राजपुर थाना क्षेत्र के सखुआना गांव के सुमन कुमार की पत्नी का प्रसव होना था। परिजन प्रसूता को लेकर चौसा अस्पताल पहुंचे थे। जहां से चिकित्सकों ने गंभीर स्थिति को देखते हुए सदर अस्पताल रेफर कर दिया था।
जौनपुर में 64 नये कोरोना पॉजिटिव मिले, संक्रमितों की संख्या 1375 पहुंची
हालांकि परिजन प्रसूता को लेकर चौसा स्थित किसी निजी क्लिनिक में पहुंच गए। जहां पर प्रसुता का ऑपरेशन कर प्रसव कराया गया। प्रसव के बाद नवजात की गंभीर स्थिति को देखते हुए सदर अस्पताल रेफर कर दिया। परिजनों ने बताया कि उक्त निजी अस्पताल के द्वारा ऑक्सीजन सिलेण्डर लगा कर रेफर कर दिया गया था।
जहां पर इलाज के दौरान नवजात की मौत हो गई थी। सवाल है कि ऐसे लापरवाह निजी क्लिनिक संचालन करने वालों के खिलाफ प्रशासन कब कार्रवाई करेगा। बता दें कि इससे पूर्व भी कई ऐसे ही निजी क्लिनिकों में प्रसव के दौरान मरीजों को अपने जान से हाथ भी धोना पड़ा था। घटना होने के बाद कई निजी क्लिनिक संचालक बोर्ड पर नाम बदल कर दूसरी जगह पर अपना धंधा चलाते है।
कोरोना के कारण मोबाइल ,इंटरनेट के अभाव में हजारों छात्र ऑनलाइन क्लास से वंचित
शव के साथ दपंत्ति को घर भेजने के लिए अस्पताल प्रशासन के तरफ से किसी भी तरह के खास इंतजाम नहीं किये गए। इस दौरान सदर अस्पताल में ही मौजूद दूसरे व्यक्ति ने इस घटना की दो तस्वीर खींचकर मीडिया को दे दिया, जिसके बाद ये मामला उजागर हो सका है। बहरहाल इस घटना के बाद सिविल सर्जन डॉ. जितेन्द्र कुमार ने बताया कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।