अमेरिका की फेडरल कोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों, खासकर भारत के छात्रों को बड़ी राहत दी है। अमेरिका की एक फेडरल कोर्ट के जज ने ट्रंप (Trump) प्रशासन के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें अमेरिकी विश्वविद्यालयों में नामांकित हजारों विदेशी छात्रों के वीजा रद्द करने और उन्हें निर्वासित करने के आदेश दिए गए थे।
22 मई को कैलिफोर्निया के उत्तरी जिले के लिए अमेरिकी जिला न्यायालय के न्यायाधीश जेफरी व्हाइट की ओर से दिए गए फैसले में प्रशासन के प्रयासों की निंदा की गई और इसे विघटनकारी और संभवतः गैरकानूनी बताया गया।
यह फैसला उस विवादास्पद कदम के बाद आया है, जिसमें होमलैंड सुरक्षा विभाग (DHS) ने स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम (SEVP) के तहत हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रवेश को अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए रद्द कर दिया। ये आदेश संस्थान की वैश्विक शैक्षणिक भागीदारी के लिए एक गंभीर झटका था, साथ ही भारत जैसे देशों से अमेरिका में पढ़ने का सपना देखने वाले छात्रों के लिए भी।
Harvard University में नहीं मिलेगा विदेशी छात्रों को दाखिला, ट्रंप प्रशासन ने लगाई रोक
राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल में रखे गए संघीय न्यायाधीश ने 21 पन्नों की बड़ी राय में ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों की आलोचना की, जिसमें कहा गया कि उनके कामों ने अंतररार्ष्ट्रीय छात्रों की कानूनी स्थिति पर ‘समान रूप से कहर बरपाया है’। हालांकि न्यायालय ने हार्वर्ड के मामले पर सीधे तौर पर कोई फैसला नहीं सुनाया, लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा उद्धृत विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला प्रशासन की स्थिति को काफी कमजोर करता है।
क्या था ट्रंप (Trump) का आदेश?
अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों के नए एडमिशन पर रोक लगाने वाले आदेश जारी किया था। यूनिवर्सिटी में फिलहाल 788 भारतीय छात्र पढ़ रहे हैं। जो छात्र फिलहाल यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं उन पर भी इस बदलाव का असर पड़ सकता था। आदेश में इसी हफ्ते ग्रेजुएट हो रहे स्टूडेंट्स को यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन पूरी कर लेने की इजाजत थी, लेकिन जिनको अभी 2025-26 में पढ़ाई करनी है उनको किसी और यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर कराना होता।