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करंट ने छीन ली ‘कृष्णा’ के पति और दो बेटों की जान, एकसाथ उठीं तीन अर्थियां तो रो पड़ा गांव

death due to electric current

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उत्तर प्रदेश के मेरठ के परीक्षितगढ़ में करंट लगने से हुए हादसे ने कृष्णा से न सिर्फ उसके पति को छीन लिया, बल्कि उसके दो बेटों को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया। सुबह के चार बजे थे। तेज बारिश के साथ हवा चल रही थी। घर में पड़े तीन शव को देखकर कृष्णा कभी बेसुध हो जाती, तो कभी चीख-चीखकर रो पड़ती। कभी पति के शव से लिपटकर, तो कभी बेटों के शव झिंझोड़कर बिलख पड़ती। सोमवार को कृष्णा के घर हुए इस हादसे को जिसने भी देखा उसकी ही आंख से आंसू निकल पड़े।

हर रोज की तरह घर का मुखिया पूरन गिरी घर का मुख्य दरवाजा खोलने के लिए उठा, लेकिन उसे क्या मालूम था कि यह दरवाजा ही उसके और उसके दो बेटों के लिए काल बन जाएगा। दरअसल दरवाजे के बराबर में ही बिजली का मीटर लगा था, किसी कारणवश मीटर में स्पार्किंग से करंट आ गया जो लोहे के बने दरवाजे में भी उतर आया।

पूरन गिरी ने जैसे ही दरवाजे को हाथ लगाया तो वह करंट की चपेट में आ गया। पिता मदद के लिए चिल्ला रहा था कि उसके दो बेटों ने देखते ही पिता को बचाने के लिए दौड़ लगा दी, लेकिन कौन जानता था कि वे पिता को बचाने के बजाय खुद भी मौत का शिकार बन जाएंगे।

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पूरन गिरी और उसके पुत्र भैंसा-बुग्गी से मिट्टी डालने का काम करते हैं। सुबह उन्हें गांव में राम स्वरूप के यहां पर मिट्टी डालनी थी। पूरन गिरी सुबह चार बजे पशुओं को चारा डालने के लिये उठे। तभी हर रोज की तरह उन्होंने घर का मुख्य दरवाजा खोल दिया। दरवाजा बिजली के मीटर के कटे तार से छू गया। बताया गया कि तार घिस रहा था, जिसमें चलते दरवाजे में करंट उतर गया।

पूरन गिरी की चीख सुनकर निखिल पहुंचा, लेकिन वह भी चपेट में आ गया। पिता और भाई की चीख सुनकर आशुतोष भी बचाने के लिए दौड़ा, लेकिन वह भी चपेट में आ गया। पिता और दोनों पुत्रों ने तड़प तड़पकर जान दे दी।

पति और दोनों पुत्रों की तड़पते देखकर पत्नी कृष्णा ने शोर मचाया, जिसमें आसपास के लोगों में जाग हो गई। पड़ोसी बागेश ने सूझबूझ का परिचय देते मीटर के पास केबिल में डंडा मारा। तब जाकर दरवाजे से करंट हटा।

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ग्रामीणों ने बताया कि केबिल में चिंगारी उठ रही थी, जिसमें एक तार पूरन गिरी के पशुओं के ऊपर गिर गया। जिसमें दो पशुओं की भी मौत हो गई। इस दर्दनाक हादसे में पिता और उनके दो पुत्रों की मौत होने पर ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा।

ग्रामीणों ने कहा कि बिजली विभाग का कर्मचारी मीटर की रिडिंग लेने के लिये आता है। पूरन गिरी ने कर्मचारी से भी कहा था कि मीटर घर के गेट से थोड़ा हटाकर लगा लें, लेकिन उसने नहीं सुना था। इस हादसे को ग्रामीण बिजली विभाग की लापरवाही के चलते मान रहे है। पूरन गिरी और उसके दो बेटों का पोस्टमार्टम हुआ और उनके शव शाम को गांव में पहुंचे। जहां पर ग्रामीणों और पूरन गिरी के रिश्तेदारों का तांता लग गया। पूरन गिरी की पत्नी कृष्णा व उसका बड़ा बेटा नितिन शवों से लिपटकर रो रहे थे। यह देख गांव के लोगों भी रोने लगे।

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पुलिस और कुछ लोगों ने पीड़ित परिवार को समझाया और उनका ढांढस बांधा। पुलिस फोर्स की मौजूदगी में तीनों शवों का श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस हादसे में बाद गांव में कई घरों में दिनभर चूल्हे तक नहीं जले है। ग्रामीणों ने बताया कि पूरन व उसके बेटे बहुत ही सरल स्वभाव के थे तथा गांव के सभी लोगों से मिल जुलकर रहते थे।

पिता और दो भाइयों की मौत के बाद तीसरा बेटा नितिन ही मां का एकमात्र सहारा बचा है। कृष्णा कभी अपने पति के शव से तो कभी अपने दोनों पुत्रों के शवों से लिपट-लिपट कर बिलखती रही।

कृष्णा के दर्द को देख ग्रामीण भी अपनी आंखों में आंसू नहीं रोक पाए। तीन मौत से पूरा गांव गम में डूब गया। ग्रामीणों ने बताया कि पूरन गिरी का बड़ा बेटा नितिन सुभारती मेडिकल कॉलेज में जॉब करते है। पिता और भाइयों की मौत की खबर सुनते ही नितिन ड्यूटी से गांव में पहुंचा।

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