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रामलला के दर्शन करने की इच्छा दो साल में पूरी होने वाली है : दिनेश कुमार

ram mandir

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दुनिया भर में करोड़ों हिन्दुओं की आस्था के प्रतीक भव्य राम मंदिर की पहली मंजिल का निर्माण कार्य अगले दो सालों में पूरा होने की उम्मीद है।

विश्व हिंदू परिषद(विहिप) के शीर्ष नेताओं में से एक एवं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के विशेष आमंत्रित सदस्य दिनेश ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा कि श्रीराम के भक्तों की अयोध्या में उनके जन्म स्थान पर भव्य मंदिर निर्माण और रामलला के दर्शन करने की इच्छा डेढ़-दो साल के भीतर हो जाने वाली है।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के विशेष आमंत्रित सदस्य दिनेश कुमार ने सहारनपुर में 60 बीघा जमीन पर बने शिवधाम मंदिर निर्माण का अवलोकन किया। उन्होंने कहा कि उनकी इस भव्य निर्माण को देखने की दो वर्ष से इच्छा थी जो आज जाकर पूरी हुई।

उन्होंने कहा कि एक तरफ अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य एवं ऐतिहासिक मंदिर बनने जा रहा है और दूसरी ओर सहारनपुर में भगवान शिव के विशाल मंदिर का निर्माण हो रहा हैं। भगवान शिव और राम दोनों एक-दूसरे के उपासक हैं। इसलिए दोनों का भव्य मंदिर बनना हिंदुओं के लिए गौरव और बड़प्पन की बात है। सहारनपुर में निर्माणाधीन शिवधाम का निर्माण स्वतंत्रता सेनानी मंशाराम सिंघल सर्राफ की 60 बीघा भूमि पर हो रहा हैं। दिवंगत मंशाराम सर्राफ के दो बेटों सुभाष सिंघल और महेश सिंघल ने भाजपा महानगराध्यक्ष राकेश जैन और राजकुमार राजू के साथ शिवधाम स्थल पर दिनेश का शाल ओढ़ाकर और मोतियों की माला पहनाकर अभिनंदन किया।

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दिनेश कुमार ने मंशाराम द्वारा उसी स्थल पर 60 वर्ष पूर्व बनाए गए शिव मंदिर में जलाभिषेक किया और पूजा-अर्चना भी की। उसी स्थल पर विहिप नेता दिनेश कुमार ने पत्रकारों से कहा कि अयोध्या में राम जन्मभूमि ट्रस्ट के पास जो 70 एकड़ भूमि उपलब्ध हैं उसमें से 6 एकड़ भूमि पर भगवान श्रीराम का विशाल मंदिर बनेगा और उसी परिसर में माता सीता का मंदिर भी बनाया जाएगा।

उन्होने कहा कि माता सीता द्वारा खुद को भूमि में समाए जाने के बाद अयोध्या हमेशा उजड़ी और सूनी रही। साधु-संतों और धर्माचार्यों की मंशा के मुताबिक अयोध्या के सूनेपन को दूर करने के लिए माता सीता का भी भव्य मंदिर बनेगा। उन्होंने कहा कि जन्मभूमि स्थल पर डेढ़-दो साल के भीतर मंदिर के एक मंजिल का निर्माण पूरा हो जाएगा और रामलला वहां स्थापित हो जाएंगे। उसके बाद देश-दुनिया के रामभक्त वहां पहुंचकर अपनी आस्था के मुताबिक भगवान श्रीराम के दर्शन कर सकेंगे और पूजा-अर्चना भी कर सकेंगे।

दिनेश अग्रवाल ने बताया कि विश्वभर में जितनी भी रामायण लिखी गई हैं उन सभी को वहां एक संग्रहालय बनाकर उसमें रखा जाएगा और देश-दुनिया से वहां पहुंचने वाले ज्ञान पिपासू राम जन्म मंदिर परिसर में स्थापित शोध केंद्र में भगवान श्रीराम पर अनुसंधान और अध्ययन कर सकेंगे। उनके रहने खाने की तमाम सुविधा वहां मुहैया कराई जाएगी और श्रीराम के जीवन से संबंधित विद्वानों और प्रोफेसरों को भी वहां हर तरह की सुविधा प्राप्त होगी।

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उन्होंने कहा कि जन्मभूमि पर पूरा मंदिर बनने में पांच से छह वर्ष लगेंगे। उन्होंने कहा कि इस मंदिर निर्माण से हिंदुओं की 500 सौ साल पुरानी इच्छा और मांग पूरी हो जाएगी। जब बाबर ने मंदिर तुड़वाकर वहां मस्जिद का निर्माण करा दिया था। हिंदुओं का 500 सौ साल का संघर्ष पूरा हो गया है। उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण पर करीब 10 हजार करोड़ रूपए की लागत आएगी। मंदिर ट्रस्ट की योजना है कि निर्माण में आने वाली लागत की धनराशि आम हिंदुजनों से एकत्रित की जाएगी। देश में साढ़े लाख गांव हैं। ट्रस्ट के कार्यकर्त्ता की कोशिश रहेगी कि उनके लोग कम से कम पांच लाख गांवों तक पहुंचे और 11 करोड़ हिंदू परिवारों से धन संग्रहित करें।

दिनेश कुमार ने कहा कि देश में अनेक स्थानों पर लक्ष्मीनारायण के मंदिर का निर्माण करने वाले बिड़ला और अन्य धन्ना सेठों का प्रस्ताव है कि उन्हीं से मंदिर पर व्यय होने वाली संपूर्ण धनराशि ले ली जाए।

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