लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने नवगठित 18वीं विधान सभा के अध्यक्ष पद (Speaker of the Legislative Assembly) के लिये 29 मार्च को निर्वाचन कराने की तिथि निर्धारित की है।
विधान सभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे की ओर से शनिवार को जारी बयान में यह जानकारी दी गयी है। इसके अनुसार राज्यपाल ने 29 मार्च को लखनऊ स्थित विधान सभा मंडप में दोपहर बाद तीन बजे विधान सभा अध्यक्ष पद के निर्वाचन का समय निर्धारित किया है।
अध्यक्ष पद के निर्वाचन के लिये नवगठित विधानसभा का कोई भी निर्वाचित सदस्य 28 मार्च को दोपहर दो बजे से पूर्व किसी दूसरे सदस्य के नाम निर्देशन हेतु एक नाम निर्देशन प्रपत्र सम्यक रूप से भरकर प्रमुख सचिव, विधान सभा को प्रस्तुत कर सकेंगे। नाम निर्देशन प्रपत्र प्रमुख सचिव, विधान सभा के कार्यालय कक्ष से प्राप्त किये जा सकेंगे।
इसमें उप्र विधानसभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली, 1958 के नियम 8(4) के हवाले से स्पष्ट किया गया है कि नाम निर्देशित सदस्य तथा उसके प्रस्थापक व समर्थकों को नवानिर्वाचित विधान सभा सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण करना अनिवार्य है।
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गौरतलब है कि राज्यपाल ने विधान सभा के अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया को संपन्न कराने के लिये शनिवार को प्रोेटेम स्पीकर के रूप में भाजपा के वरिष्ठ विधायक रमापति शास्त्री को शपथ दिलायी। वह सोमवार और मंगलवार को नवनिर्वाचित विधायकों को भी पद की शपथ दिलायेंगे।
सतीश महाना बन सकते हैं विधानसभा अध्यक्ष
विधानसभा में पूर्ण बहुमत के आधार पर यह तय है कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सदस्य को ही विधानसभा अध्यक्ष बनने का मौका मिलेगा। पिछली 17वीं विधानसभा में 403 सीटों में सहयोगियों समेत 325 सीटें जीतने वाली भाजपा के हृदय नारायण दीक्षित विधानसभा अध्यक्ष चुने गये थे। इस बार दीक्षित को भाजपा ने विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनाया था। भारतीय जनता पार्टी में वरिष्ठता के हिसाब से कई विधायक हैं, जिन्हें मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला। लेकिन संकेत मिल रहे हैं कि कानपुर जिले के महाराजपुर विधानसभा क्षेत्र से आठवीं बार निर्वाचित सतीश महाना (Satish Mahana) को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
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योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की पिछली भाजपा सरकार में सतीश महाना औद्योगिक विकास मंत्री थे, लेकिन इस बार उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया है। पिछली सरकार में समाज कल्याण मंत्री रहे आठ बार के विधायक रमापति शास्त्री भी इस बार मंत्रिमंडल में स्थान नहीं पा सके। शास्त्री भी आठ बार के विधायक हैं और वरिष्ठता क्रम में उन्हें भी मौका मिल सकता है।