महान दार्शनिक एवं समाज सुधारक बसवन्ना की धरती कनार्टक से पहली बार महात्मा बुद्ध की ज्ञान और कर्मभूमि बिहार आने को अपना सौभाग्य मानने वाले भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं युवा सांसद तेजस्वी सूर्या ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) एवं प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव को न केवल कर्म का पाठ पढ़ाया बल्कि कटाक्ष करते हुए कहा, “जिसने कभी मेहनत की रोटी नहीं खाई वह बेरोजगारी का दर्द क्या जाने।”
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की नई टीम में शामिल किए गए देश के युवा सांसदों में शुमार श्री सूर्या को बड़ी जिम्मेवारी सौंपते हुए बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर युवाओं में पैठ मजबूत करने के लिए आज पटना भेजा गया। उन्होंने यहां पहुंचकर पत्रकारों से कहा कि उनका महान दार्शनिक एवं समाज सुधारक बसवन्ना की धरती कनार्टक से पहली बार महात्मा बुद्ध की ज्ञान और कर्मभूमि बिहार आना सौभाग्य की बात है।
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इसके बाद भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि महलों की राजनीति करने वाले इन सामंतों को युवाओं और बेरोजगारों की समस्याओं पर बात करने का कोई नैतिक अधिकार भी नहीं है। उन्होंने कहा कि नौकरी कर अपनी मेहनत की कमाई के पैसों से खाना खाने का सुख क्या होता है, यह भाव, यह संतोष किसी वंशवादी परिवार का युवराज क्या जानता है।
श्री सूर्या ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उदाहरण देते हुए कहा कि बेरोजगारी और युवाओं का दर्द सिर्फ उनके जैसा व्यक्ति ही समझ सकता है क्योंकि वह जमीन से संघर्ष कर इतने उच्च पद तक पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के कारण बेरोजगार हो चुके इन समकालीन सामंतों को बस अपनी राजनीतिक बेरोजगारी का दर्द है।
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भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि बिहार के लोग अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए जमीन बेच देते हैं। ऐसे लोगों के जज्बे को वह नमन करते हैं। उन्होंने कहा कि वह ऐसे अभिभावकों को विश्वास दिलाते हैं कि उनके बच्चों की शिक्षा और रोजगार के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।
श्री सूर्या ने भाजपा की ओर से युवाओं के लिए यहां आयोजित ‘टाउनहॉल’ कार्यक्रम में संबोधन के दौरान राजद नेता तेजस्वी यादव का नाम लिए बगैर निशाना साधा और कहा, “आजकल बिहार के कुछ राजनीतिक दलों के राजा बेरोजगारी पर बहुत ज्ञान बांच रहे हैं लेकिन जिसने अपने जीवन में एक दिन भी मेहनत की कमाई की रोटी नहीं खायी हो, वह बेरोजगारों का दर्द क्या जानें।”